पते की बात: CAA विरोध की आड़ में दंगे का एक वर्ष
विगत एक वर्ष पूर्व 23 फरवरी 2021 को अलीगढ़ में CAA विरोध की आड़ में महानगर के ऊपरकोट क्षेत्र में पुलिस पर हमला किया गया आगजनी पथराव व गोलीयां चलाई गई, जिसमें अनेक वीर पुलिसकर्मी आरएएफ के जवान घायल हुए।
उसी दिन भारत की राजधानी दिल्ली में भी भयंकर दंगा हुआ, क्या यह महज संयोग था, शायद नहीं…..
आज के किसान आंदोलन और उसके पीछे के षडयंत्रों के उजागर होने पर हम दृढ़तापूर्वक कह सकते है कि वो उपद्रव भी नियोजित थे।
उक्त समय अलीगढ़ में हुए दंगों ने अनेक प्रश्न छोड़े, जिनका उत्तर ना तो प्रशासनिक स्तर पर – ना सत्तारूढ़ राजनैतिक दल भाजपा के कर्णधारों द्वारा खोजा गया।
15 दिसम्बर 2020 को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में CAA कानून पर जानबूझ कर फैलाये गए झूठ और आंदोलन के आधार पर प्रजोजित हिंसक प्रदर्शन की पूर्व जानकारी होने पर भी अलीगढ़ जनपद के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अवकाश पर क्यों गए ? और यदि वह अवकाश पर थे, तो क्यों और कहाँ थे ?
किन परिस्थितियों और कारणों से शाहजमाल में चल रहे CAA विरोधी धरना महानगर के ऊपरकोट पर 20 फरवरी 2020 को स्थान्तरित किया गया और किन कारणों से 23 फरवरी 2020 को दिल्ली व अलीगढ़ दोनों स्थानों पर दंगा हुआ।
यदि यह इस्लामिक आतंकवादी संगठनों वामपंथियों की साजिश थी तो उस दंगों में घायल व नामित हिंदुओं को भी घायल पुलिस कर्मियों की तरह निर्दोष क्यों नहीं माना गया?
क्या ऐसे मामलों में हिंदुओं, सिखों और समाज की रक्षा को तत्पर पुलिस कर्मियों आदि को आत्म रक्षा व अपने देवालयों की रक्षा का विशेषाधिकार नहीं होना चाहिए?
निश्चित देश एक अभूतपूर्व संकट से गुजर रहा है तो हमें भी वर्तमान परिस्थितियों का प्रबंधन भी अभूतपूर्व ही करना होगा । भारतीय राजनीति व प्रशासन में पसरे वामपंथियों पर विशेष दृष्टि रखनी होगी अन्यथा हम CAA और किसान आंदोलन की तरह ही षडयंत्रों का शिकार होते रहेंगे।