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चिंतन:किसी की बुराई करना और किसी की बुराई सुनना,दोनों ही वैचारिक दुर्बलता के लक्षण हैं..
राधे - राधे
आज का भगवद् चिन्तन
वैचारिक दुर्बलता
किसी की बुराई करना और किसी की बुराई सुनना, दोनों ही वैचारिक दुर्बलता के लक्षण हैं। जो लोग आपके सामने दूसरों की बुराई करते हैं, सच समझना निश्चित ही वो लोग दूसरों से आपकी बुराई भी करते होंगे। बुरा करना ही गलत नहीं है अपितु बुरा सुनना भी गलत है। हम प्रतिदिन जैसा सुनते हैं, देखते हैं , वही होने भी लग जाते हैं। स्वस्थ अथवा स्वच्छ विचार ही जीवन की प्रसन्नता का मूल है।
उन लोगों से अवश्य ही सावधान रहने की जरुरत है, जिन्हें दूसरों की बुराई करने में रस की…