इलाहाबाद. हर साल माघ महीने में लगने वाले मेले की तैयारी गंगा के तट पर शुरू हो चुकी है। इस बार माघ मेला 1,540 बीघा में लगेगा। इसमें लगभग ढाई करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। एसएसपी केएस इमैनुएल ने संगम तट पर भूमि पूजन किया। जल्द ही श्रद्धालुओं की सहायता के लिए पुलिस चौकी बनाने का काम भी शुरू हो जाएगा। इलाहाबाद में माघ मेला बसाने के पहले यह परंपरा है कि पुलिस प्रशासन की ओर से एसएसपी भूमि पूजन करते है। इसके कुछ दिन बाद प्रशासन की तरफ से डीएम गंगा पूजन करते हैं। माघ महीने में श्रद्धालु गंगा तट पर एक महीने तक तंबुओं में रहते हैं। साधु-संन्यासियों के शिविर में धार्मिक प्रवचन होता है। श्रद्धालु प्रवचन सुनते हैं और अपने तंबू में बैठकर भजन करते हैं। इसे ही कल्पवास कहा जाता है। पौष की पूर्णिमा से माघ की पूर्णिमा तक पूरे एक महीने तक यह माघ मेला चलता है। इसमें कुछ खास स्नान पर्व पड़ते हैं। स्नान करने के लिए भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु गंगा और संगम के तट पर पहुचते हैं। फिलहाल रेतीली भूमि का समतलीकरण किया जा रहा है और गंगा नदी पर पीपे के पुल बनाए जा रहे हैं।
क्या कहते हैं मेला अधिकारी
मेला अधिकारी ने बताया कि इस बार मेले में करीब ढ़ाई करोड़ श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। सभी तैयारियों को पूरा कराया जा रहा है। इस बार माघ मेला 1,540 बीघा जमीन में बसाया जाना है। इसके लिए 85 बीघा जमीन कम पड़ रहा है, क्योंकि अभी गंगा पूर्व दिशा में बह रही है जिससे 85 बीघा जमीन जलमग्न हो गया है। इसके लिए इंतजाम किया जा रहा है। गंगा की कटान को रोकने के लिए सिंचाई विभाग के लोग प्रयास कर रहे हैं। जल्द ही उस पर नियंत्रण प्राप्त कर लिया जाएगा।
जल्द शुरू होगा कल्पवासियों के लिए भूमि आवंटन
दिसंबर के दूसरे सप्ताह से साधु, संन्यासियों, तीर्थ-पुरोहितो और कल्पवासियों के लिए जमीन आवंटन शुरू किया जाएगा। फिर इसके बाद तंबुओं का शहर बसना शुरू हो जाएगा। माघ महीने में पौष पूर्णिमा, मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या और माघी पूर्णिमा इन स्नान पर्वों पर भारी संख्या में श्रद्धालु संगम तट पर स्नान करेंगे। मौनी अमावस्या पर तो करीब एक करोड़ श्रद्धालु स्नान करते हैं।
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