प्रत्यक्ष कर संग्रह में 6 फीसद की गिरावट, अधिकांश सर्किल में निगेटिव ग्रोथ

नई दिल्ली। आम बजट से ठीक दस दिन पहले प्रत्यक्ष कर संग्रह के मोर्चे से जो सूचनाएं सामने आई हैं उसका लब्बो लुआब यही है कि सरकार फिलहाल आम जनता को कोई टैक्स राहत देने की स्थिति में है। 15 जनवरी, 2020 तक देश में प्रत्यक्ष कर संग्रह 7.26 लाख करोड़ रुपये का रहा है जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 6.1 फीसद कम है। नागपुर और अहमदाबाद को छोड़ कर आय कर के सारे सर्किल में कर संग्रह पिछले वर्ष के मुकाबले कम रहा है।

मुंबई सर्किल में कई वर्षो बाद कर संग्रह का ग्रोथ रेट निगेटिव रहा है। जाहिर है एक तरफ जीएसटी संग्रह की रफ्तार बहुत उत्साहजनक नहीं है दूसरी तरफ प्रत्यक्ष कर भी उम्मीद से बहुत कम है। ऐसे में आयकर की राहत पाले आम जनता को बजट से निराशा मिल सकती है।चालू वित्त वर्ष के दौरान सरकार ने प्रत्यक्ष कर संग्रह की राशि 13.35 लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया था। इस तरह से अगले ढाई महीनों में 6.09 लाख करोड़ रुपये संग्रह करना होगा। वैसे यह भी देखा जाता है कि वित्त वर्ष के अंतिम दो महीनों में ही सबसे ज्यादा आय कर संग्रह होती है।

इसके बावजूद वित्त मंत्रालय के अधिकारी भी आश्वस्त नहीं है कि इस लक्ष्य को हासिल किया जा सकेगा। इसके पीछे वजह है कि मंुबई सर्किल में भी आय कर संग्रह 5.9 फीसद, दिल्ली सर्किल में 10.8 फीसद, चेन्नई में 2.6 फीसद, हैदराबाद सर्किल में 0.1 फीसद, बंगलुरू में 7.4 फीसद की गिरावट हुई है। सबसे ज्यादा जयपुर सर्किल में 20.4 फीसद की गिरावट हुई है।

नागपुर सर्किल में अप्रत्याशित तौर पर 35.20 फीसद का इजाफा हुआ है। देश में आय कर विभाग के 18 सर्किल हैं और 16 सर्किलों में वृद्धि दर निगेटिव है। 15 जनवरी तक के आंकड़ों के मुताबिक जो आय कर संग्रह हुआ है उसमें 3.87 लाख करोड़ रुपये की राशि कारपोरेट टैक्स के तौर पर और पर्सनल इनकम टैक्स के तौर पर पर 3.29 लाख रुपये आया है। जबकि 9000 करोड़ रुपये की राशि सिक्यूरिटीज ट्रांजैक्शन टैक्स के तौर पर आई है। अब देखना होगा कि आम बजट में चालू वित्त वर्ष के दौरान कर संग्रह की क्या स्थिति दिखाती है।

विकास दर घटाने के आइएमएफ के आकलन पर चिदंबरम ने सरकार को घेरा

आर्थिक मोर्चे की चुनौती से रुबरू हो रही सरकार पर कांग्रेस ने अब आइएमएफ के नये विकास दर अनुमानों के सहारे एनडीए की आर्थिक नीतियों पर कटाक्ष किया है। पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने तंज कसते हुए कहा है कि आइएमएफ ने इस वर्ष का भारत का जीडीपी पांच फीसद से भी कम रहने का आकलन किया है तो ऐसे में अब सरकार की ओर से विश्व संस्था आइएमएफ की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ पर हमला बोलना जाना तय है।

अर्थव्यवस्था की गति धीमी होने को लेकर सरकार पर हमला करते हुए चिदंबरम ने कहा कि 4.8 फीसद का यह आकलन भी कुछ उपरी दिखावट और सजावट ही वजह से होगा। इसीलिए जीडीपी की दर इससे भी कम रहती है तो उन्हें आश्चर्य नहीं होगा। पूर्व वित्तमंत्री ने मौजूदा आर्थिक सुस्ती के लिए नोटबंदी की ओर साफ इशारा करते हुए कहा कि नोटबंदी को गलत मानते हुए इसे खारिज करने वाले शुरूआती लोगों में गोपीनाथ भी थीं।

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