राधे – राधे
आज का भगवद् चिंतन
पुष्टिमार्ग का अर्थ उस प्रेम प्रधान भक्ति मार्ग से है, जहाँ भक्ति की प्राप्ति भगवान के विशेष अनुग्रह से अथवा तो विशेष कृपा से संभव हो पाती है। जीव के प्रयत्न द्वारा नहीं अपितु प्रभु की कृपा द्वारा ही उनकी प्राप्ति संभव हो पाती है, यही पुष्टि मार्ग का मुख्य सिद्धांत है। पुष्टि जीव सभी प्रकार से प्रभु शरणागत ही होता है।
जहाँ साधन भी और साध्य भी केवल प्रभु ही हैं, वही तो पुष्टि मार्ग भी है। पुष्टि मार्ग का एक अर्थ यह भी है कि जहाँ भक्ति तो पुष्ट होती ही होती है अपितु भगवान भी पुष्ट होते हैं। संपूर्ण समर्पण और निष्ठा के साथ अपने सभी कर्मों को अपने सुख का थोड़ा भी विचार किए बिना केवल और केवल अपने प्रभु को सुख की प्राप्ति हो इस भाव से करना ही पुष्टि मार्गीय भक्ति का स्वरूप है।
*पुष्टिमार्ग प्रवर्तक अखण्डभूमण्डलाचार्य अनंतश्री विभूषित श्रीमद् महाप्रभु वल्लभाचार्य जी के मंगलमय पावन प्राकट्य उत्सव की आप सभी को अनंत शुभकामनाएं एवं मंगल बधाई।
गौभक्त श्री संजीव कृष्ण ठाकुर जी
श्रीधाम वृन्दावन
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