कोरोना पॉजीटिव मरीज के खाते में पैसा भेजे सरकार,जो बचे उसे बाद में वापस ले ले-पीएम जी को पत्र लिख की मांग-विजय शंकर यादव
डिजिटल भारत न्यूज 24×7 LIVE– संवाददाता- दिनेश उपाध्याय-(ओबरा/सोनभद्र/उत्तर प्रदेश)
ओबरा सोनभद्र भारतीय अहिंसा सेवा संस्थान के अध्यक्ष पूर्व छात्र नेता जन सेवक विजय शंकर यादव ने पीएम जी को पत्र लिख कर कोरोना मरीजो के बेहतर इलाज हेतु मांग की लिखे पत्र का उल्लेख करते हुए कहा कि कोरोना पॉजीटिव मरीज के खाते में पैसा भेजे सरकार।जो बचे उसे बाद में वापस ले ले।राजस्व की क्षति रुकेगी मरीज को बेहतर इलाज मिलेगा।पॉजीटिव आंकड़े में गिरावट आएगी।कोरोना पॉजीटिव कालाबजारी आंकड़ा को रोकना है तो मरीज के खाते में पैसा भेजे सरकार जब 80 साल का कोरोना पॉजीटिव भारत की बनी दवा से ठीक हो रहा है। तो भारत किस दवा का इंतजार कर रहा है।भारत वातावरण के जीता है विदेश एयरकंडीशन जीवन जीते है।यदि उनको सर्दी जुखाम हुआ तो निमोनिया भी होगा हो सकता है जो नाम विदेशियो ने दिया है कोरोना भी होगा। पर भारत को सोचना होगा कहि हम भारतीय विदेशियो व WHO के गलत मंसूबो के शिकार तो नही हो रहे है। भारत की चौपट अर्थ ब्यवस्था अब पूरी तरह से बर्बादी के कगार पर पहुच रही है।लोगो मे डर बनता जा रहा है। लॉक डाउन लगाने से कही बेहतर होगा कि लोगो मे जागरूकता लाया जाए माक्स व सोसल डिस्टेंडिंग का पालन करने के प्रति। अब तो रिपोर्ट के आंकड़ों में भी काला बजारी होने लगी है। इसे रोकने हेतु कोरोना पॉजीटिव मरीज के खाते में पैसे भेजे सरकार।अजीब डर का माहौल पैदा कर दिया गया कोरोना को लेकर।सर्दी जुखाम खांसी ये आम #बीमारी रही। चीन ने इसे कोरोना नाम दे कर। ऐसा डर पैदा किया कि आम जनो में आत्मविश्वास की कमी आ गई। डरा इंसान आज इस बीमारी के खौफ में जी रहा है। यदि आज किसी को मौसमी सर्दी जुखाम खांसी #बुखार आ जाये। इसका पहले कोई टेस्ट नही होता था। लेकिन आज जिस भी ब्यक्ति को ये मौसमी सर्दी जुखाम खांसी बुखार इत्यादि हो वो जांच करा के देखे तो उसको रिपोर्ट पॉजीटिव मिलने की सम्भवना बनी हुई है।भारत इस तरह की मौसमी बीमारी से दवा लेकर या तीन दिन तक काढ़ा पी कर ठीक होता रहा।इस बीमारी में सबसे पहले अपने शरीर तापमान ठीक करना होता है।मरीज धूप लेता है।काढ़ा पीता है।
दूध गुड़ हल्दी का सेवन करता है।
साफ सफाई से रहना एसी से बचना, ठंडी चीजो से दूरी बनाना।ये एक दूसरे में तुरन्त फैलती है। इसलिए जिसे होता है उससे थोड़ा दूरी बनाते है लोग।जो भी प्रमाणित दवाएं है उसका सेवन करता है मरीज। देखा जाए तो वही दबाए आज भी चलन में है।दवाएं वही है मरीज को देखने वाले डॉक्टर हमजा सूट पहन लिए ऐसे कमरे में रख दिये जिनसे कोई मिल नही सकता। मरीज का मनोबल पॉजीटिव आते ही कमजोर हो जा रहा है।