(कोन)प्राइवेट बसों के संचालन कर्ताओं द्वारा मनमानी भाड़ा लेना हो बंद नहीं तो धरने पर बैठने के लिए होंगे मजबूर – जिला पंचायत सदस्य विमलेश कुमार यादव..
जिलाधिकारी महोदय को प्रार्थना पत्र देकर अवगत कराया
संवाददाता- ब्लॉक रिपोर्टर -विमलेश कुमार (कोन/सोनभद्र/उत्तर प्रदेश)
कोन/ सोनभद्र – सोनभद्र जिला के कोन क्षेत्र में बहुत पहले से प्राइवेट बसों का संचालन होता चला आ रहा है इसके बाद लॉक डाउन होने के बाद बंद वाहन को जब फिर से चालू किया गया तो 50% सवारी का बाध्य कर दिया गया था जिसमें किराया को बढ़ा दिया गया था जिसके बाद से लोगों ने मजबूरी में 3 गुना भाड़ा देने के लिए मजबूर थे।
लेकिन अब पहले की तरह नहीं रहा और बस संचालकों द्वारा सोशल डिस्टेंसिंग का पालन न करते हुए बसों में फूल सवारी बैठाने लगे जिससे यात्रियों और बस संचालकों में हमेशा तू तू मैं मैं किराया को लेकर होती रहती थी लेकिन बस संचालक अपने अड़ियल रवैया पर अडिग रहें और भाड़ा कम नहीं किया।
और बस संचालकों द्वारा यात्रियों से अमानवीय दुर्व्यवहार भी किया जाता रहा।
ऐसे ही एक घटना रविवार को बस संचालकों द्वारा रामगढ़ के एक यात्री से अमानवीय दुर्व्यवहार करते हुए एक नवजात शिशु के शव के साथ कमांडर से आते हुए तेलगुढ़वा में बस संचालकों द्वारा करीब 3 घंटे तक रोक लिया गया था इसलिए कि हमारे बस से चलना होगा। जिससे रामगढ़ क्षेत्र के आक्रोशित ग्रामीणों ने बस के संचालन को 4 घंटे तक रोक दिया था ।
जब बस संचालन रुक गई तो क्षेत्र के आदिवासी बनवासी ग्रामीण यात्रियों ने मनमानी भाड़े को लेकर भी शिकायत की जिसको लेकर निगाई क्षेत्र के जिला पंचायत सदस्य विमलेश कुमार यादव ने गंभीरता से लेते हुए जब बसों में चढ़कर सभी सवारियों से पूछताछ की तो पता चला कि सही में प्राइवेट बसों वालों ने इन ग्रामीण क्षेत्र के आदिवासियों वनवासियों को मनमानी किराया लेकर लूट रहे हैं।
इसके बाद उन्होंने देखा कि तेलगुढ़वा से कोन की भाड़ा ₹70 लिया जा रहा है और कोन से विंढमगंज का भाड़ा ₹50 व रामगढ़ से तेलुगुडवा का भाड़ा ₹50 लिया जा रहा है।
इसके बाद जिला पंचायत सदस्य विमलेश यादव ने माना कि क्षेत्र के ग्रामीण जनता आदिवासियों को भाड़ा के नाम पर लूटा जा रहा है ।
जिससे इन्होंने कोन थाना प्रभारी को भी सूचित किया कि क्षेत्र में प्राइवेट बसों द्वारा मनमानी भाड़ा वसूली कर रहे हैं।
इसके बाद इन्होंने प्रार्थना पत्र देकर जिलाधिकारी महोदय से गुहार लगाया कि प्राइवेट बसों के संचालन में मनमानी भाड़ा को तुरंत दुरुस्त किया जाए नहीं तो हम आदिवासी ग्रामीणों के साथ धरना पर बैठने को बाध्य होंगे।