धनबाद । टाइगर के नाम से चर्चित बाघमारा के बाहुबली और सजायाफ्ता विधायक ढुलू महतो अब घिरने लगे हैं। झारखंड में भाजपा की सत्ता होने के कारण पांच साल तक तो उन्हें आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का विशेष संरक्षण मिलता रहा। यही कारण है हाई कोर्ट रांची के आदेश के चार साल बाद भी ढुलू कानूनी कार्रवाई से बचते रहे हैं। अब हाई कोर्ट ने पूछा है कि कोर्ट के आदेश के बाद अब तक क्या कार्रवाई हुई? आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय शोकॉज जारी करते हुए 11 फरवरी तक लिखित शपथ पत्र दायर करने का आदेश दिया। इस मामले में आगे की सुनवाई के लिए 11 फरवरी की तिथि निर्धारित की गई है।
क्या है मामला
भाजपा विधायक ढुलू महतो पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगाते हुए कतरास के अधिवक्ता सोमनाथ चटर्जी ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर रखा है। इसी मामले की हाई कोर्ट रांची में मुख्य न्यायाधीश डॉ. रविरंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद ने सुनवाई की। वर्ष 2011 में अधिवक्ता सोमनाथ चटर्जी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल कर बाघमारा के विधायक ढुलू महतो की संपत्ति सीबीआई तथा प्रवर्तन निदेशालय से जांच कराने की मांग की थी। 30 मार्च 2016 को हाईकोर्ट की डबल बेंच ने सुनवाई के उपरांत आयकर विभाग और प्रवर्तन निदेशालय को जांच के लिए निर्देशित किया था। हाईकोर्ट के द्वारा जांच आदेश के 17 माह बीतने के बाद दोनों विभाग ने जांच नही किया। इसके बाद सोमनाथ चटर्जी 2017 में सुप्रीम कोर्ट गये थे जहां वरीय अधिवक्ता से क़ानूनी सलाह लेने के बाद आयकर और प्रवर्तन विभाग के पटना और रांची कार्यालय में सूचना के अधिकार के तहत जानकारी मांगी थी। लेकिन दोनों विभाग ने सूचना के अधिकार के धारा का हवाला देते हुए प्रतिबंधित कह जानकारी उपलब्ध कराने से इंकार कर दिया था।
जांच आदेश पर चार साल से कुंडली मार बैठा आयकर विभाग
अधिवक्ता सोमनाथ चटर्जी के पुनः याचिका दायर करने पर हाई कोर्ट में 29 अक्टूबर 18 को सुनवाई हुई। न्यायालय ने पूर्व में पारित आदेश के आलोक में कार्रवाई की जानकारी आयकर और ईडी से मांगी। साथ ही सुनवाई की अगली तिथि 27 नवंबर 18 को मुकर्रर की। 27 नवंबर 18 को सुनवाई हुई। लेकिन, इस तारीख को भी ईडी और आयकर विभाग की तरफ से कोर्ट को जांच रिपोर्ट नहीं सौंपी। इसके बाद कोर्ट ने 31 जनवरी 19 तक लिखित रूप से विधायक के खिलाफ जांच रिपोर्ट न्यायालय में दाखिल करने का निर्देश आयकर और प्रवर्तन निदेशालय को दिया। बार-बार हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी विधायक के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोपों की जांच नहीं हुई।