दंड मोचन एवं मोक्ष प्राप्ति का पर्व है ईसाई समुदाय का गुड फ्राइडे लॉक डाउन के कारण दुद्धी चर्च में नही हो सका कोई कार्यक्रम

दंड मोचन एवं मोक्ष प्राप्ति का पर्व है ईसाई समुदाय का गुड फ्राइडे
लॉक डाउन के कारण दुद्धी चर्च में नही हो सका कोई कार्यक्रम

यीशु कल भी थे, आज भी हैं

डिजिटल भारत न्यूज़24×7 वेब पोर्टल चैनल- उपेन्द्र कुमार तिवारी (दुद्धी ब्यूरो/ सोनभद्र / उत्तर प्रदेश)

दुद्धी, सोनभद्र । स्थानीय कस्बे और आसपास के बीडर, मलदेवा जैसे ग्रामीण अंचलों में मसीही समुदाय द्वारा शुक्रवार को गुड फ्राइडे का पर्व पूरी श्रद्धा से मनाया गया। यह मसीही समाज का दंड मोचन एवं मोक्ष प्राप्ति का पर्व है। इस दिन प्रभु ईसा मसीह को इजराइल के राजा हेरोदेस ने प्राण दंड की संज्ञा दी थी। जिसे श्रद्धालु बड़े भक्ति भाव से कराते हैं,क्योंकि यह प्रभु यीशु की दुख भोग का समय होता है। मसीही लोग इस दुख के दिन को मनाने के लिए 40 दिन पूर्व से ही उपवास करते हैं। उपवास के 38 वें दिन पवित्र शुक्रवार गुड फ्राइडे के रूप में मनाया जाता है। आज के दिन मरने के बाद पुनः तीसरे दिन जीवित होने पर जो त्यौहार मनाया जाता है उसे ईस्टर पर्व के नाम से जाना जाता है। लॉक डाउन के कारण चर्च न आकर अपने आवास पर दुद्धी क्रिश्चियन चर्च के पादरी पास्टर मिथिलेश मसीह ने बताया कि परमेश्वर ने अपनी योजना के अनुसार सारे सृष्टि की रचना की तथा मनुष्य को अपने स्वरूप में बनाकर पृथ्वी पर रखा था कि इस पृथ्वी पर मनुष्य परमेश्वर की इच्छा अनुसार जीवन व्यतीत करे।

परंतु मनुष्य परमेश्वर की आज्ञा का उल्लंघन कर पाप के दलदल में फंसता गया। परमेश्वर की पवित्रता और उपस्थिति से दूर चोरी, हत्या, व्यभिचार, झूठ बोलना, लालच, लड़ाई-झगड़ा जैसे पाप के स्वरूप में डूब गया। मनुष्य का जीवन दुख और आंसू से भरा हुआ बन गया। परमेश्वर से यह हालत देखी नहीं गई और उसने समय-समय पर ऋषि-मुनियों साधु-संतों व नबियों को भेजकर परमेश्वर की योजना और इच्छा के अनुरूप मनुष्य को सुधारने का प्रयास किया, लेकिन मनुष्य के स्वभाव में पाप का दासत्व अपना साम्राज्य पूरी रीति से फैल चुका था। सफलता न मिलने पर परमेश्वर को स्वयं मनुष्य के स्वरूप में होकर पृथ्वी पर जन्म लेना पड़ा। यीशु (छुटकारा देने वाला) इस पृथ्वी पर कुंवारी मरियम की कोख से जन्म लेकर साढे 32 साल तक रहकर मनुष्यों को परमेश्वर बारे में उपदेश दिया। बीमारी, दुख व शैतान से ग्रसित लोगों को मुक्ति दिलाकर प्रमाणित करता रहा कि मैं स्वर्ग से आया हूं। लेकिन यहूदी धार्मिक नेता याजक फरीस जैसे धार्मिक कट्टरपंथी लोग मनुष्य को बहला कर यीशु को ग्रहण करने दिया। उल्टे उन्हें रोम के हाकिम के पास न्याय हेतु पेश कर दिए। एक भी दोष ना पाए जाने के बावजूद उग्र भीड़ के समर्थन तथा अपनी सत्ता बचाने के लिए हाकिम द्वारा यीशु को क्रूस की मृत्यु दी गई।
दुद्धी क्षेत्र में गुड फ्राइडे के दिन ईसाई समुदाय के लोग चर्च जाकर प्रभु यीशु की दुख को स्मरण कर आराधना करते हैं। अपने पापी स्वभाव के कारण पश्चाताप कर क्षमा प्रार्थना करते हैं। पुरोहित द्वारा क्रूस पर यीशु के कहे विशेष सात वाणी का वर्णन करते हैं। कलीसिया (मसीही समुदाय) के लोग उस उपदेशों को ध्यान से सुनकर इस दुख को स्मरण करके प्रार्थना के साथ सभा का अंत करते हैं।
दूसरे दिन शनिवार 39वें रोज को अर्धरात्रि तक प्रार्थना व रविवार 40वें रोज की प्रातः 4:00 बजे भोर में ईस्टर के दिन हाथों में मोमबत्ती जलाकर आनंद के साथ मसीही गीत गाते हुए नगर भ्रमण करते हैं। ईस्टर के दिन प्रभु यीशु मसीह के पुनः जीवित होने पर मसीही समुदाय द्वारा दुनिया को संदेश देते हैं कि यीशु जगत की ज्योति है। वह मर कर भी पुनर्जीवित हो गया। वह आज भी जीवित है। यीशु को परमेश्वर ने एक विशेष ध्येय से संसार में भेजा था। कॅरोना के कारण लॉक डाउन होने की दशा में ईसाई समाज द्वारा कोई कार्यक्रम आयोजित नही किया गया। लोग-बाग अपने घरों पर ही आराधना किये।

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