उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव दीपक सिंघल ने कहा- आत्मनिर्भर भारत के लिए जरूरी है गांवों की आर्थिक मजबूती

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते साल आत्मनिर्भर भारत बनाने के संकल्प के साथ आजादी के अमृत महोत्सव वर्ष की शुरुआत की। इसके बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने बीते महीने अहमदाबाद में हुई तीन दिवसीय अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में आत्मनिर्भर भारत बनाने का खाका पेश किया।

संघ का मानना है कि आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए हमें भारत केंद्रित आर्थिक मॉडल तैयार करना होगा। इस मॉडल में ग्रामीण भारत और महिलाओं, मतलब देश की आधी आबादी की भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी,सवाल है कि वह कौन सा आर्थिक मॉडल है जिसमें आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना छिपी हुई है?

ऐसी संकल्पना जिसका सपना महात्मा गांधी ने देखा था? आखिर दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र आत्मनिर्भर होगा कैसे? इसके लिए क्या बदलाव लाने होंगे? मेरी समझ में आत्मनिर्भर भारत में सबसे बड़ी बाधा ठोस मॉडल नहीं होना है।

आत्मनिर्भर भारत का रास्ता गांव से हो कर जाता है। वही, ग्रामीण भारत जिसमें बहुमत आबादी रहती है। ऐसी बहुमत आबादी जो नए विचार, नई दृष्टि और नई योजना के अभाव में पिस रही है।

ग्रामीण भारत में बुनियादी जरूरत मसलन शिक्षा, चिकित्सा, रोजगार सहित कई अन्य समस्या आजादी के 75 वर्ष बाद भी जस की तस खड़ी है। आजादी के 75 साल बाद भी देश की बहुसंख्यक आबादी (80 करोड़) का जीवन बचाने के लिए सरकार को मुफ्त अनाज वितरण का सहारा लेना पड़े तो आत्मचिंतन की जरूरत है।

यह भी सोचना पड़ेगा कि ब्रिटिश शासन में दुनिया की जीडीपी में भारत की 45% हिस्सेदारी अब एक अंक तक कैसे सिमट गई। प्रति व्यक्ति जीडीपी के आधार पर भारत की रैंक 150वीं है। देश की दस फीसदी आबादी 57 फीसदी राष्ट्रीय आय की मालिक है।

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