लोनी श्रीरामकथा के चौथे दिन उमड़ा रामभक्तों का जनसैलाब, भगवान राम के बाल्यकाल लीलाओं, ताड़का वध, अहल्या उद्धार, सीता स्वंयवर, राम-सीता विवाह प्रसंगों ने किया रामभक्तों को मंत्रमुग्ध

लोनी के रामपार्क स्थित सिद्धबाबा मंदिर पर 11 अप्रैल से शुरू हुए श्रीरामकथा के चौथे दिन अवकाश होने के कारण कथा पंडाल में भक्तों का जनसैलाब उमड़ आया जिससे पंडाल भी छोटा पड़ गया।

कथावाचक श्री अतुल कृष्ण महाराज जी द्वारा भगवान परशुराम जन्म, भगवान राम के बाल्यकाल लीला, ताड़का वध, अहिल्या उद्धार के प्रसंगों का छंदों के साथ अदभुत और अलौकिक वर्णन किया। इस दौरान विधायक नंदकिशोर गुर्जर और पंडाल में उपस्थित रामभक्त भावुक नजर आये। कथा श्रवण के लिए भाजपा पदाधिकारी, संघ व विभिन्न संगठनों के पदाधिकारी भी पहुंचे।

पूज्य व्यास महाराज जी ने अदभुत और छंदों के साथ भगवान परशुराम जन्म, भगवान राम के बाल्यकाल लीला, ताड़का वध, अहिल्या उद्धार, इंद्र उद्धार, सीता स्वंयवर और भगवान राम और माता सीता के विवाह के प्रसंगों का अलौकिक वर्णन किया।

कथा व्यास ने बताया दुनिया भर के कौए गन्दगी में वास करते है लेकिन कागभुशुण्डि जी ने भगवान जन्म के उपरांत संकल्प लिया कि जब तक भगवान पांच वर्ष के नहीं हो जाएंगे तब तब सब कुछ त्याग मैं अवध में ही वास करूँगा और भगवान के लीलाओं का दर्शन करूँगा। आज कागभुशुण्डि जी साधारण कौए नहीं थे भगवान शिव स्वंय उनसे कथा सुनते थे।

भगवान श्रीराम और चारों भाईयों के धूल में खेलने और राजा दशरथ और कौशल्या द्वारा गोद में उठाने का सुंदर चित्रण किया। व्यास जी ने भगवान के नामकरण की व्याख्या करते हुए कहा कि यह नाम ही मनुष्य का भाग्य और भविष्य तय करता है। पाश्चात्य संस्कृति आधारित शिक्षा से समाज में बुराइयों ने जन्म लिया है क्योंकि सनातन पध्दति आधारित शिक्षा धर्म से जोड़ने वाली, त्यागमयी जीवन जीने वाली व दूसरों का हित करने वाली शिक्षा थी जिससे गुणवान और चरित्रवान व्यक्ति का निर्माण होता है।

श्रीराम कथा में भगवान श्रीराम द्वारा गुरुकुल में शिक्षा, गुरु विश्वामित्र द्वारा गुरुकुल और राक्षसों से यज्ञ की रक्षा के लिए भगवान राम और लक्ष्मण को लेकर अपने आश्रम आये और ताड़का वध, अहिल्या का उद्धार के बाद मिथिला में स्वंयवर समाचार सुनकर गुरु के साथ मिथिला राज्य के लिए प्रस्थान करते है और स्वंयवर में गुरु की आज्ञा पाकर शिव धनुष तोड़कर कंपन के माध्यम से विश्व के दुष्टों को सावधान करना था कि अब कोई राक्षस वृत्ति का व्यक्ति जीवित नहीं बचेगा।

भगवान परशुराम और लक्ष्मण संवाद उपरांत राजा दशरथ का मिथिला बारात लेकर पहुंचना और भगवान राम और माता सीता के साथ चारों भाईयों के विवाह का अलौकिक वर्णन किया गया। इस दौरान लोनी विधायक नंदकिशोर गुर्जर और पंडाल में मौजूद सभी रामभक्त झूमते नजर आए। पूरे पंडाल में ऐसा दृश्य था जैसे भगवान राम और सीता माता का लोनी में विवाह उत्सव मनाया जा रहा है।

वहीं विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने कहा कि आज लोनी में भगवान राम जी के विवाह उत्सव से पूरी लोनी राममय हो गई है। मैं सभी रामभक्तों का आभार व्यक्त करता हूँ जो भारी संख्या में कथा श्रवण हेतु आ रहे है।

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