परम् वीतरागी व निस्पृह सन्त थे बालगोविंद दास महाराज..

वृन्दावन।श्याम वाटिका क्षेत्र स्थित श्री अलि नागरि कुंज में चल रहे निकुंजलीला प्रविष्ट बालगोविन्द दास महाराज के 16 वें 11 दिवसीय पुण्यतिथि समाराधन महोत्सव में सन्त-विद्वत सम्मेलन का आयोजन सम्पन्न हुआ।
सन्त-विद्वत सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए शरणागति आश्रम के सन्त बिहारीदास भक्तमाली ने कहा कि संतप्रवर बालगोविंद दास महाराज परम् वीतरागी व निस्पृह सन्त थे। वह सहजता, सरलता, उदारता, परोपकारिता आदि की प्रतिमूर्ति थे।
अलिनागरि कुंज के सेवायत आचार्य पंडित रामनिवास शुक्ल व पंडित विद्या शुक्ल ने कहा कि महाराजश्री को ब्रजभाषा व खड़ी बोली दौनों के ही काव्य सृजन में महारथ हासिल थी। उन्होंने “अलि नागरि” उप नाम से सैकड़ो पदों व भजनों की रचना की, जो कि प्रकाशनाधीन हैं।
ब्रज साहित्य सेवा मण्डल के अध्यक्ष डॉ. गोपाल चतुर्वेदी व युवा साहित्यकार डॉ. राधाकांत शर्मा ने कहा कि संतप्रवर बालगोविंद दास महाराज अत्यंत फक्कड़ व भजनानंदी सन्त थे। उन्होंने ब्रज के अनेक प्रख्यात सन्तों का सानिध्य प्राप्त किया हुआ था। महाराजश्री ने कृष्ण भक्ति की लहर को समूचे देश में अत्यंत तीव्रता के साथ प्रवाहित किया।
इससे पूर्व महाराजश्री की प्रतिमा का पंचामृत से अभिषेक किया गया। साथ ही वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य उनका पूजन-अर्चन हुआ। साथ ही उनके द्वारा रचित पदों व भजनों का संगीत की मृदुल स्वर लहरियों के मध्य गायन किया गया। महाराजश्री के जयकारे लगाए गए एवं प्रसाद बांटा गया।
इस अवसर पर डॉ. चंद्रप्रकाश शर्मा, डॉ. हरेकृष्ण शर्मा शरद, प्रख्यात संगीतज्ञ चन्दन महाराज, आनन्द शुक्ला, मनमोहन शर्मा, पण्डित रामगोपाल शास्त्री, विष्णु शर्मा आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये। संचालन डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने किया।ततपश्चात “महामंत्र” का 24 घण्टे के अखंड हरिनाम संकीर्तन का शुभारंभ हुआ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *