कजरारे तीखे नैन मेरे बिहारी के… : धीरज बावरा

वृन्दावन । श्याम वाटिका क्षेत्र स्थित श्री अलिनागरि कुंज में चल रहे निकुंजलीला प्रविष्ट सन्तप्रवर बालगोविंद दास महाराज के 16 वें 11 दिवसीय पुण्यतिथि समाराधन महोत्सव में विश्वविख्यात भजन गायक धीरज बावरा की सरस् भजन संध्या का आयोजन सम्पन्न हुआ। उन्होंने महाराजश्री द्वारा रचित वाणियों का संगीत की मृदुल स्वर लहरियों के मध्य गायन कर सभी को भाव-विभोर कर दिया। साथ ही उन्होंने राधाकृष्ण की महिमा से ओत-प्रोत कई भजनों का गायन कर श्रोताओं को झूमने पर विवश कर दिया। जिनमें से कुछ के बोल इस प्रकार थे- ” मेरौ राधा रमण राधा राधा……”, ” कजरारे तीखे नैन मेरे बाँके बिहारी के…..”।
इसके अलावा प्रख्यात भजन गायक चन्दन महाराज व स्वामी मनमोहन शर्मा ने भी अपनी अनेक मनमोहक प्रस्तुतियां देकर सभी की अत्यधिक वाहवाही लूटी।
शरणागति आश्रम के सन्त प्रवर बिहारी दास भक्तमाली महाराज व भागवताचार्य यदुनन्दनाचार्य महाराज ने कहा कि सन्तप्रवर बालगोविंद दास महाराज श्रीमद्भागवत के प्रकाण्ड विद्वान थे। उन्होंने इस ग्रन्थ की शिक्षा कलाधारी बगीची स्थित अपने निवास पर रहते हुए हजारों विद्यार्थियों को निःशुल्क प्रदान की। वह भागवत जी की कथा भी बगैर दक्षिणा के कहा करते थे। संयोग से यदि उनके पास धन आ भी जाये तो वह उसे जरूरतमंद व्यक्तियों में बांट दिया करते थे।
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी व पंडित विद्यानिधि शुक्ला में कहा कि सन्त बालगोविंद दास महाराज हिन्दी व संस्कृत साहित्य एवं व्याकरण के जाने-माने विद्वान थे। उनके द्वारा लिखी गयीं आरतियाँ विभिन्न देवालयों में आज भी अत्यंत धूम के साथ गायी जाती हैं। विडम्बना है कि अध्यात्म जगत ने उनकी स्मृति रक्षा के लिए अभी तक कुछ भी नहीं किया है। जब कि वह एक ऐसी विभूति थे जिसने असँख्य व्यक्तियों को भगवत भक्ति की प्रेरणा व ऊर्जा प्रदान की।
महोत्सव के संयोजक आचार्य पं. रामनिवास शुक्ला व युवा साहित्यकार डॉ. राधाकांत शर्मा ने कहा कि संतप्रवर बालगोविंद दास जी महाराज का समूचा जीवन ब्रज-वृन्दावन, सन्त-सेवा , विप्र सेवा, एवं गौसेवा आदि के लिए समर्पित था। उनके द्वारा चलाये गए विभिन्न सेवा प्रकल्प आज भी श्याम-वाटिका स्थित अलिनागरि कुंज से वृहद स्तर पर संचालित हो रहे हैं।
इस अवसर पर राजस्थान प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी हरीश चंद्र धनेतवाल (हरिहर दास),आचार्य नेत्रपाल शास्त्री,भागवताचार्य डॉ. हरेकृष्ण शर्मा “शरद”, रामगोपाल शास्त्री,डॉ. चंद्रप्रकाश शर्मा, पयासी जी महाराज,भजन गायक विष्णु शर्मा, अनुराग मिश्रा, वसुधा सहचरी आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किये।

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