बेटी के दुष्कर्म के बाद, आरोपी को हुई जीवनकाल की सजा, 68 दिन पहले हुआ था मासूम का के साथ दुष्कर्म

अलीगढ़ इ तहसील इगलास की एक ऐसी घटना जिसको सुनकर आपके उड़ जायेंगे होस कहा जाता है कि बेटी को ईंटों से कुचल दिया था और बहुत बुरे तरीके से उसके साथ दुष्कर्म किया था |

इगलास कस्बे में 68 दिन पूर्व नौ साल की मासूम की दुष्कर्म के बाद ईंटों से कुचलकर हत्या में अदालत ने दोषी को जीवनकाल (शेष प्राकृत यानि मरने तक जेल में) तक की सजा सुनाई है।

मिशन शक्ति अभियान के तहत यह फैसला सुनाते हुए एडीजे विशेष पॉक्सो नंद्र प्रताप ओझा की अदालत ने जिले में नया रिकार्ड बनाया है। अदालत ने जिले में पहली बार किसी मुकदमे में ट्रायल के 50 दिन में यह सजा सुनाई है।

अभियोजन पक्ष से विशेष लोक अभियोजक व वादी के अधिवक्ता छविकांत वशिष्ठ, सरदार मुकेश सैनी के अनुसार, छह मार्च की शाम करीब सात बजे इगलास कस्बे में हाथरस रोड पर रहने वाले हाबूड़ा जाति के परिवार की नौ वर्षीय बच्ची को आरोपी मनोज कुरकुरे दिलाने के बहाने ले गया था।

काफी देर तक बच्ची नहीं लौटी तो उसकी तलाश शुरू हुई। इसी दौरान पाया कि लकड़ी की टाल के पीछे आरोपी मनोज बच्ची का सिर ईंट से कुचल रहा था।

बच्ची के परिवार को आता देखकर वह भाग गया। खबर पर पुलिस भी पहुंच गई और बच्ची को तत्काल जिला मुख्यालय लाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

अगले दिन तीन डॉक्टरों के पैनल ने पोस्टमार्टम किया, जिसमें दुष्कर्म के बाद हत्या की पुष्टि हुई। इधर, पुलिस ने मुकदमे के आधार पर आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। साथ ही चार दिन में चार्जशीट भी दाखिल कर दी।

इस मुकदमे का ट्रायल त्वरित गति से करते हुए अदालत में नौ साक्षी अभियोजन पक्ष की ओर से, जबकि दो बचाव पक्ष की ओर से पेश किए गए।

दोनों पक्षों की जिरह, साक्ष्य, गवाही आदि के आधार पर न्यायालय ने आरोपी को हत्या व दुष्कर्म के साथ पॉक्सो की धारा में दोषी करार दिया।

बृहस्पतिवार को सजा सुनाते हुए दोषी को जीवनकाल तक के लिए जेल की सजा व 50 हजार रुपये जुर्माने से दंडित किया है। साथ में जुर्माना राशि में से 25 हजार रुपये पीड़ित पक्ष को देने के निर्देश दिए हैं।
घटनाक्रम एक नजर में
6 मार्च की देर शाम हुई घटना।
7 मार्च की सुबह मुकदमा दर्ज।
7 मार्च की सुबह ही गिरफ्तारी।
10 मार्च को कोर्ट में चार्जशीट।
24 मार्च को आरोप तय हुए।
26 मार्च को पहली गवाही हुई।
12 अप्रैल को आखिरी गवाही।
20 अप्रैल को आरोपी के बयान।
10 मई को दोषी करार दिया है।
12 मई को सजा सुनाई गई है।

ये पेश किए गए नौ गवाह : 26 मार्च को वादी, 28 मार्च को चश्मदीद मोहित, 30 मार्च को हरिओम, एक अप्रैल को एसआई सचिन, 4 अप्रैल को पोस्टमार्टम पैनल में शामिल डॉ. समन कुरैशी, 6 अप्रैल को सिपाही दिनेश गौतम, 8 अप्रैल को पोस्टमार्टम में शामिल डॉ. अमित, 8 अप्रैल को तहरीर लेखक, 12 अप्रैल को इंस्पेक्टर।

बचाव पक्ष की यह प्रक्रिया : 20 अप्रैल को आरोपी के बयान के बाद दो गवाह बचाव की ओर से पेश किए गए।

न्यायालय में मजबूत साक्ष्य व त्वरित गति से पैरवी में पुलिस का भी सहयोग रहा है। इसी आधार पर सजा हुई है। हमने कठोरतम सजा का अनुरोध किया था।
महेश सिंह, विशेष लोक अभियोजक
न्यायालय से हमें न्याय नहीं मिला है। हमारी दलीलों को दरकिनार किया गया है। रंजिश के तहत आरोपी को फंसाया गया है। हम इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे।

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