पते की बात : दुर्दांत इस्लामिक हत्यारा महमूद गज़नवी

 

 

पते की बात : दुर्दांत इस्लामिक हत्यारा महमूद गज़नवी

आज जहाँ एक ओर काशी की ज्ञानवापी में प्राचीन शिवलिंग मिलने का आनंददायक समाचार है तथा मैं इस आलेख के माध्यम से आपको उस दुर्दांत इस्लामिक हत्यारे #महमूद _गज़नवी के भारत पर निरन्तर किये हमलों और उसमें लाखों हिंदुओं के मारे जाने के विषय में संक्षेप में जानकारी दूंगा। जिसने सोमनाथ ज्योतिर्लिंग मंदिर को ना केवल तोड़ा अपितु वहाँ भारी लूटपाट व हत्यायें की।

आपको यह जानकर आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि महमूद गजनवी ने यह आक्रमण इस्लाम के तत्कालीन खलीफा के आदेश पर भारत में इस्लाम को फैलाने, हिन्दूओं को कत्ल करने, मन्दिरों को ध्वस्त करने, उनकी महिलाओं से बलात्कार करने, व हिंदू यूवाओं व महिलाओं को गुलाम बना कर विदेशी बाजार में बेचने के लिए किया ।
महमूद गजनवी ने 1000 ई. से 1027 ई. के मध्य भारत पर 17 बार आक्रमण किया। इस दौरान उसने 20 लाख से अधिक हिन्दू युवाओं व महिलाओं को अफगानिस्तान में अपने गृहनगर गजनी शहर में दो-दो दीनारों के बदले बेच डाला।

और केवल इतना ही नहीं 1001 ईस्वी गांधार में पेशावर के पास जयपाल की पराजय के उपरांत इसने अफगानिस्तान में इतने हिंदुओं की हत्या की कि उससे नरमुंडों की 32 फिट ऊंची पहाड़ी बन गयी, जिसे #हिन्दू_कुश कहा जाता है।

1008 ईस्वी में उसने जयपाल के बेटे आनंदपाल को हराया, उसके बाद हिमाचल के कांगडा की संपत्ति की भारी लूट की, फिर उज्जैन, ग्वालियर, कन्नौज, दिल्ली, कालिंजर और अजमेर को जीतने के बाद वहाँ की संपत्तियां हड़प ली।

1011 ईस्वी में गज़नवी ने थानेसर में हमला किया और एक दिन में 52 हज़ार हिंदुओं का कत्ल कर दिया
। उसने 1013 में ओहिन्द पर आक्रमण कर राजा त्रिलोचनपाल को हराया। गज़नवी के बजीर मुहम्मद इब्न मुहम्मद अल जबारू ने अपनी पुस्तक तारिख यामिनी ने लिखा कि महमूद की सेना का कोइ प्रतिकार ही नहीं हुआ।

1015 ईस्वी में कश्मीर पर चढ़ाई की किन्तु विफल रहा, इसके बाद मथुरा और वृंदावन पर आक्रमण कर भारी खूब लूटपाट की और मथुरा तथा वृंदावन को पूर्णत: विध्वंस कर दिया गया।

1015 ईस्वी में ही उसने कन्नौज पर आक्रमण किया, इसके बाद 1019 ई. में बुंदेलखंड पर आक्रामण किया किन्तु वहाँ के चंदेल शासक विद्याधर की विशाल सेना देखकर वह घबरा गया और भाग गया।

1024 में अजमेर, नेहरवाला और काठियावाड़  में उनका आख़िरी बड़ा युद्ध हुआ फिर उसने 1025-26: सोमनाथ मंदिर को लूटा और एक दिन में सोमनाथ में 50 हज़ार हिंदुओं की हत्या कर दी। 30 अप्रैल, 1030 ई. को मलेरिया के कारण उसकी मृत्यु हो गई।

मेरा इन आलेखों को लिखने का एकमात्र उद्देश्य यह है कि अपने अतीत में हुए अपमान अत्याचारों को जानें, वर्तमान परिस्थितियों के साथ उनका मूल्यांकन करें और भविष्य में असपकि सन्ततियाँ इन अपमानों प्रताड़नाओं से वंचित रहें।
(भारत में इस्लामिक आक्रांता – भाग तीन)
~अशोक चौधरी
आहुति – अलीगढ़

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