डॉ योगेश दुबे का समाज के लिए अभूतपूर्व योगदान । उत्तर भारतीय महासंघ के स्थापना के गौरवपूर्ण 28 वर्ष पर राजभवन में हुआ यादगार समारोह


उत्तर भारतीयों की प्रतिनिधि राष्ट्रीय सामाजिक, शैक्षणिक और सांस्कृतिक संस्थान उत्तर भारतीय महासंघ के अध्यक्ष डॉ योगेश दुबे की कुशलता के फल स्वरूप भारतीय विकास संस्थान ने अपनी स्थापना के गौरवपूर्ण 28 वर्ष पूरे कर लिए हैं । इस अवसर पर राजभवन में एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया । जिसमें महाराष्ट्र के राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी प्रमुख रूप से उपस्थित रहे । इस अवसर पर राज्यपाल ने डॉ. योगेश दुबे और उत्तर भारतीय महासंघ के उपलक्ष में अपने विचार साझा किया । उन्होंने कहा “समाज सेवा के क्षेत्र में डॉ. योगेश दुबे हमेशा ही अग्रसर रहते हैं चाहे बात करे विगत वर्षो मे महामारी के समय राशन वितरण, विकलांग बच्चों की सेवा हर समय इन्होंने समाज के प्रती निस्ठवान रहे हैं और अभूतपूर्व कार्य किया है”।

महाराष्ट्र के प्रथम नागरिक भगतसिंह कोश्यारी ने इस कार्य के लिए उत्तर भारतीय महासंघ और उसके संस्थापक डॉक्टर योगेश दुबे की भूरि – भूरि प्रशंसा करते हुए आगे कहा कि “यह एक गौरवशाली पल है, जब मेरे हाथों समाज के अलग – अलग क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले लोगों को सम्मानित किया जाएगा । योगेश दुबे ने कम उम्र में ही राष्ट्र सेवा का व्रत लिया और उत्तर भारतीय महासंघ समेत अनेक सामाजिक और साहित्यिक संस्थाएं स्थापित कीं । उनको इस अवसर पर बधाई एवं शुभकामनाएँ देता हूँ । निश्चित ही इन अट्ठाइस वर्षों के समय में उन्होंने काफी उतार – चढ़ाव देखे होंगे । उनकी अनेक उपलब्धियों में राष्ट्रीय युवा पुरस्कार, भारत सरकार द्वारा दिया गया राष्ट्रीय दिव्यांग जन पुरस्कार समाज सेवा में उनके उत्कृष्ट योगदान को दर्शाता है ।

वे अपने कार्यों से महाराष्ट्र के विकास में लगातार अपना योगदान दे रहे हैं । डॉक्टर योगेश दुबे के नाम का मतलब होता है योग अर्थात जोड़ना । अपने नाम के अनुरूप ही वे अपनी संस्था उत्तर भारतीय महासंघ और साहित्य गंगा के माध्यम से आप सभी सम्मानित विभूतियों के साथ सारे समाज को जोड़ रहे हैं । यह हमारी संस्कृति ही है जो हम सभी को एक दूसरे से जोड़कर रखती है। फिर चाहे हम देश के किसी भी प्रांत में हों । महाराष्ट्र ने इन्हे बहुत सम्मान दिया है” ।

इस अवसर पर डॉक्टर योगेश दुबे ने अपने शब्दों मे अलंकृत कहा कि “उत्तर भारतीय महासंघ के कार्यकर्ताओं ने अथक परिश्रम कर इसे शिखर तक पहुंचाया है । महासंघ का सफर चुनौतीपूर्ण भी रहा है और गौरवपूर्ण भी । डॉ दुबे ने कहा की महाराष्ट्र की संस्कृति को बढ़ाने के लिए हम सभी प्रतिबद्ध हैं । भविष्य में भी हम समाज और महाराष्ट्र के बीच सेतु का काम करते रहेंगे । उत्तर भारतीय समाज और साहित्यकारों के लिए गौरव की बात है कि यह कार्यक्रम आज राजभवन में हो रहा है । वर्ष १९९४ में महाराष्ट्र के उत्तर भारतीयों की समस्याओं के निवारण के लिए स्थापित उत्तर भारतीय महासंघ उत्तर भारत की गौरवशाली परंपरा तथा महाराष्ट्र की वैभवपूर्ण विरासत को एकाकार करते हुए लोकप्रियता के शिखर की ओर अग्रसर एक धारा है ।

उत्तर भारतीय महासंघ और साहित्य गंगा के सम्मान समारोह का यह संयुक्त आयोजन था । साहित्य गंगा साहित्य के माध्यम से राष्ट्र की सेवा में पिछले कई वर्षों से अपना अतुलनीय योगदान दे रहा है । इस अवसर पर समाज के विभिन्न क्षेत्र की विभूतियों को राज्यपाल के हाथों अपने क्षेत्र में अतुलनीय योगदान देने के लिए साहित्य गंगा उत्कृष्टता अवार्ड से भी सम्मानित किया गया । जिनमें पत्रकारिता, समाजसेवा, उद्योग जगत और कला क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करनेवालों का समावेश था । इस संकलन में समारोह में राज्यपाल कोश्यारी जी ने डॉ. योगेश दुबे का विशेष सम्मान किया ।

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