चिंतन:समय अनुकूल नहीं तब भी जीवन में अवसरों का इंतजार मत करो अपितु अवसरों के निर्माण करने का साहस भी पैदा करो..

राधे – राधे
” अवसरों को जन्म दें ”

जब भी जीवन की परिस्थितियाँ हमारे अनुकूल नहीं रहीं हों, हमने चाहे कितना भी कष्ट उन प्रतिकूल क्षणों में क्यों न पाया हो लेकिन वस्तुतः सत्य यही है कि उन्हीं क्षणों ने हमें आगे बढ़ाया होगा और जीवन के वास्तविक सत्य का अनुभव कराया होगा।

प्रतिकूलता के क्षणों में व्यक्ति के सोचने और करने का स्तर सामान्य से हटकर कुछ विशेष हो जाता है। सम्मान भी आगे बढ़ने को प्रोत्साहित करता है लेकिन तिरस्कार भी हमारे व्यक्तित्व को अंदर से निखारते हुए और मजबूत बना देता है।

हम सड़क पर चलते हैं, कितने भीड़ और वाहन चल रहे होते हैं, फिर भी हम सावधानी पूर्वक अपनी गाड़ी को अपने गन्तव्य तक पहुँचा देते हैं। थोड़ी सी प्रतिकूलता आ जाने पर व्यक्ति सदैव यही सोचता है कि मैं कैसे करूँ…? समय मेरे अनुकूल नहीं है। जीवन में सदैव अवसरों का इंतजार मत करो अपितु अवसरों के निर्माण करने का साहस भी पैदा करो।

संजीव कृष्ण ठाकुर जी
श्रीधाम वृन्दावन

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