चिंतन:श्रेष्ठ को सोचो श्रेष्ठ को चुनो श्रेष्ठ पथ का अनुगमन करके ही श्रेष्ठ व्यक्तित्व बनाया जा सकता है…

आज का भगवद् चिंतन

जीवन की संभावनाएं
केवल मनुष्य ही एक मात्र ऐसा प्राणी है जिसका व्यक्तित्व निर्माण प्रकृति से ज्यादा उसकी स्वयं की प्रवृत्ति पर निर्भर होता। मनुष्य अपने विचारों से निर्मित एक प्राणी है, वह जैसा सोचता है, वैसा बन जाता है। मनुष्य और अन्य प्राणियों के बीच का जो प्रमुख भेद है, वह ये कि मनुष्य के सिवा कोई और प्राणी श्रेष्ठ विचारों द्वारा एक श्रेष्ठ जीवन का निर्माण नहीं कर पाता है। वो अच्छा सोचकर, अच्छे विचारों के आश्रय से अपने जीवन को अच्छा नहीं बना सकता है।

प्रकृति ने उसका निर्माण जैसा कर दिया, कर दिया। अब उसमें सुधरने की कोई संभावना बाकी नहीं रह जाती है। मगर एक मनुष्य में जीवन के अंतिम क्षणों तक जीवन परिवर्तन के द्वार सदा खुले रहते हैं। वह अपने जीवन को अपने हिसाब से उत्कृष्ट या निकृष्ट बना सकने में समर्थ होता है। पशु के जीवन में पशु से पशुपतिनाथ बनने की संभावना नहीं होती मगर एक मनुष्य के जीवन में नर से नारायण बनने की प्रबल संभावना होती है।

मनुष्य जैसा खाता है, जैसा देखता है, जैसा सुनता है, जैसा बोलता है और जैसा सोचता है, फिर उसी के अनुरूप वो अपने व्यक्तित्व का निर्माण भी कर लेता है। अगर उस प्रभु ने कृपा करके आपको मनुष्य बनाया है तो फिर क्यों न श्रेष्ठ को सोचकर, श्रेष्ठ को चुनकर, श्रेष्ठ पथ का अनुगमन करके श्रेष्ठ व्यक्तित्व का निर्माण करते हुए अपने जीवन को श्रेष्ठ बनाया जाए।

गौभक्त डॉ. संजीव कृष्ण ठाकुर जी
श्रीधाम वृन्दावन

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *