अर्जन और विसर्जन ये मनुष्य जीवन के दो अहम पहलू हैं।
राधे – राधे
आज का भगवद् चिंतन
शोक में नहीं सृजन में जियो
अर्जन और विसर्जन ये मनुष्य जीवन के दो अहम पहलू हैं।वृक्ष कभी इस बात पर व्यथित नहीं होता है कि उसने कितने फूल अथवा कितने पत्ते खो दिये। वह सदैव नयें फूल और पत्तों के सृजन में व्यस्त रहता है।
नदियां भी कभी इस बात का शोक नहीं करती हैं कि प्रतिपल कितना – कितना जल प्रवाहित हो गया। वो सदैव उसी वेग में लोक मंगल हेतु प्रवाहमान बनी रहती है। उन्हें भी पता होता है कि हम जितना देंगे , उतना ही हमें प्रकृति द्वारा और अधिक दे दिया जायेगा।
जीवन में जब तक पुराना नहीं जाता है तब तक नयें आने की संभावनाएं भी नगण्य रहती हैं। यदि जीवन से कुछ जा रहा है तो चिंता मत करो अपितु ये भाव रखो कि वो ईश्वर जरूर हमें कुछ नया देने की, कुछ और बेहतर देने की तैयारी कर रहा है।
गौभक्त डॉ. संजीव कृष्ण ठाकुर जी
कैलीफोर्निया , यू. एस. ए.