नागरिकता संशोधन विधेयक का किया विरोध।

कुमार सावन की रिपोर्ट:-लातेहार

नागरिकता संशोधन विधेयक का किया विरोध।

बैठक कर वक्ताओं ने कहा कि यह विधेयक संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन है।

यह देश को बॉटने वाला विधेयक है।

लातेहार/चंदवा – नागरिकता संशोधन बिल 2019 लोकसभा और राज्यसभा में पास किए जाने पर समाजिक कार्यकर्ताओ ने चंदवा में अयुब खान की अध्यक्षता में बैठक कर विधेयक का कड़ा विरोध किया है, और कहा है कि बाबा साहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर की संविधान का यह उल्लंघन है,
वक्ताओं ने कहा कि भारत के संविधान में समानता का अधिकार दिया गया है, उसमें साफ कहा गया है कि राज्य किसी भी व्यक्ति को कानून के तहत समान संरक्षण देने से इनकार नहीं करता, इसमें सभी धर्मों के नागरिक शामिल है,
हम सभी इस बात को जानते हैं कि देश में जो सत्तारूढ़ दल है वह एक देश एक कानून एक धर्म और एक भाषा की बात करता रहा है,
हमें समझना होगा कि देश का कानून यह मांग नहीं करता कि लोगों के लिए एक कानून हो बल्कि देश में अलग-अलग लोगों के लिए अलग अलग कानून हो सकते हैं लेकिन इसके पीछे आधार सही और जायज होना चाहिए, अगर वर्गीकरण हो रहा है तो यह धर्म के आधार पर नहीं होना चाहिए, यह आधुनिक नागरिकता और राष्ट्रीयता के खिलाफ है, हमारा संविधान धर्म के आधार पर किसी भी तरह के भेदभाव और वर्गीकरण को गैरकानूनी समझता है, मैं यह समझता हूं कि नागरिक संशोधन विधेयक बहुत खतरनाक है, आज धर्म के आधार पर भेदभाव को जायज ठहराया जा रहा है तो कल जाति के आधार पर भी भेदभाव और वर्गीकरण को जायज ठहराया जाएगा, हम आखिर देश को किस दिशा में ले जा रहे हैं, संविधान के अनुसार लोगों को इस तरह से बांटने और वर्गीकरण का कोई उद्देश्य होना चाहिए और वह न्यायोचित होना चाहिए, देश के जो समझदार लोग हैं वह यह देख रहे हैं कि देश गलत दिशा में जा रहा है, किसी बिल के द्वारा संविधान के मूलभूत ढांचे को नहीं बदला जा सकता है, यह एक मामूली कानून है जिसके लिए आप संविधान का ढांचा नहीं बदल सकते,
संविधान में भारत के नागरिकों और भारत में रहने वालों के कई मौलिक अधिकारों की बात है,
संविधान कहता है ना तो संसद और ना ही सरकार या कोई राज्य ऐसा कोई कानून नहीं बना सकता है जिससे मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता हो, भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है यहां किसी के भी साथ धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता है। यह विधेयक संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन करता है। आज संविधान को बचाने की जरूरत है, जिसे भाजपा छिन्न भिन्न करने पर अमादा है।
यह बिल महात्मा गांधी, भगत सिंह, अशफाक उल्ला खान, राम प्रसाद बिस्मिल, चंद्रशेखर आजाद, राजगुरु, सुखदेव, मौलाना अबुल कलाम आजाद, बिरसा मुंडा, सिद्धो कान्हो जैसे अमर योद्धाओं के भावनाओं के खिलाफ है, यह बिल उस बहादुरशाह जफर के साथ खिलाफत करता है जिसने अपनी आंखों के सामने अपने बेटों का सिर दे दिया था और खुद रंगून में दफन हो गया,
यह बिल बेगम हज़रत महल से लेकर बदरुद्दीन तैयबजी, नवाब बहादुर, दादा भाई नैरोजी, सैयद हसन इमाम, अब्दुल गफ्फार खान, मोहम्मद अली जौहर से लेकर गांधी, नेहरू, सुभाष और पटेल की भावनाओं का अनादर करता है,
यह नेहरू और पटेल जैसे योद्धाओं के साथ धोखा है जिन्होंने अपनी लगभग जिंदगी अंग्रेजों से लड़ने में बिता दी और बची जिंदगी में अपनी मजबूत अस्थियां लगाकर भारत की ​बुनियाद रखी. यह पटेल के उस सपने पर हमला है जिसके तहत वे कहते थे कि ‘हम एक सच्चे धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के लिए प्रतिबद्ध हैं क्योंकि एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र ही सभ्य हो सकता है,
यह बिल उन हजारों लाखों लोगों के साथ खिलाफत करता है जिन्होंने साथ में लड़कर इस देश को आजाद कराया. यह बिल हमारे पुरखों के सपनों के भारत को बदलना चाहता है।
यह बिल स्वतंत्रता आंदोलन की विरासत के साथ, हमारे संविधान पर हमला करता है. यह बिल हमारे सेकुलर, लोकतांत्रिक गणराज्य को एक तंत्र में बदलने की घोषणा है. यह हमारी 140 करोड़ जनता को दो हिस्सों में बांटने का षडयंत्र रच रहा है. यह हमें स्वीकार नहीं है, सभी ने इस विधेयक पर सुप्रीम कोर्ट से हस्तक्षेप करने की मांग की गई है,
बैठक में सुरेश कुमार उरांव, असगर खान, धनेशर उरांव, अनिल उरांव, सीतमोहन मुंडा, बाबर खान, मो0 मोजम्मील, हरिकुमार भगत, बबलु राही, सुमन सुनील सोरेंग, कलेश्वर कुमार, रंजीत उरांव, मो0 सेराज, लगन मनोहर खाखा, तनवीर आलम, जमुना धर लाल भगत, जहांगीर खान, सर्जन उरांव, अमृत उरांव, गौतम कुमार, रविशंकर राम, बबन मुंडा, मो0 मकसूद, रमेश कुमार गंझु, सिकंदर गंझू, विक्की खान, शहित कई लोग उपस्थित थे।

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