मजदूरों ने सुनाई आपबीती, मजबूरी में सूखी रोटियों पर गुजारे दिन; पानी में भीगोकर हलक से उतार लेते थे

DIGITAL BHARAT NEWS 24x7LiVE- सह- संपादक- संतोष सिंह

भोपाल। महाराष्ट्र में कोरोना संक्रमण के चलते हम मजदूरों हालत खराब है। रोजाना भर पेट खाना तो दूर, मजदूर एक-एक रोटी को तरस रहे हैं। जिंदगी के ऐसे दिन देखे जिसकी कल्पना भी नहीं की थी। हमारा परिवार 350 रुपये दिहाड़ी पर निर्भर है। जो थोड़ी-बहुत बचत थी वह तो पहले ही खर्च हो गई। राशन खत्म होने के बाद भोजन के पैकेटों का सहारा था। यह भी दो-दो दिन तक नसीब नहीं हुए। कुछ रोटियां खाई तो कुछ बचाई। बची हुई रोटियों ने ही कई बार हमारी भूख मिटाई। सूखी रोटियां जब हलक से नीचे नहीं उतरी तो पानी से भिगोया और नमक से खाया।

विशेष ट्रेन से लाए भोपाल

यह दास्तां मप्र के सिंगरौली के राम गोपाल वर्मा की है, जो बीते दो माह से महाराष्ट्र के पनवेल में फंसे हुए थे। गुरुवार को पनवेल से प्रदेश के 1168 मजदूरों को विशेष ट्रेन से भोपाल के हबीबगंज रेलवे स्टेशन लाया गया। 29 जिलों के इन मजदूरों की रेलवे स्टेशन पर स्वास्थ्य विभाग की टीम ने जांच की। नगर निगम ने भोजन के पैकेट उपलब्ध कराए और संबंधित जिलों से लिए बसों से रवाना किया गया।

12 घंटे तक खाना व पानी तक नहीं मिला

पहले से ही मुसीबत की मार झेल रहे मजदूरों की ट्रेन में भी स्थिति दयनीय दिखाई दी। यह मजदूर पनवेल से रात 12 बजे रवाना हुए थे। इनके पास पहले से ही भोजन की व्यवस्था नहीं थी। मजदूरों ने बताया कि इन्हें आश्वासन दिया गया था कि पानी व भोजन की व्यवस्था ट्रेन में उपलब्ध कराई जाएगी, लेकिन सिर्फ पानी की छोटी बोतल उपलब्ध कराई गई। महिलाओं व बच्चों को भूखे-प्यासे ही भोपाल तक सफर कराना पड़ा।

सिस्टम की भी रही लापरवाही

हबीबगंज रेलवे स्टेशन पर पहुंचे मजदूरों को ट्रेन से उतरने नहीं दिया गया। कारण था कि सुरक्षित शारीरिक दूरी के साथ एक-एक जिले के मजदूरों की जांच, भोजन वितरण कर रवाना किया जा सके। धूप में तप रहे ट्रेन के डिब्बों में बैठे लोगों ने अधिकारियों से 12 घंटों से भूखे होने की बात कही, तब जाकर धीरे-धीरे भोजन मिला। हालांकि, ट्रेन में भी सुरक्षित शारीरिक दूरी का पालन नहीं किया जा रहा था।

गांव में जो मिलेगा उससे काम चलाएंगे, मुंबई नहीं जाएंगे

सतना जिले के राजकुमार ने कहा कि अब अपने जिले में ही रहेंगे, मुंबई वापस नहीं जाएंगे। गांव में तो कोई व्यवस्था नहीं है, क्या करोगे? इस सवाल पर उन्होंने कहा कि जो थोड़ा बहुत मिलेगा, उसी से काम चला लेंगे। भगवान ने भेजा है तो काम भी दे ही देगा, लेकिन वापस महाराष्ट्र नहीं जाएंगे।

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