पंतजलि आरोग्य केंद्र के तत्वावधान में पौध वितरण करते हुए
ओबरा सोनभद्र पेड़ प्रकृति की अनुपम देन है। पेड़ एक देश की बहुमूल्य संपदा होते हैं, जहां पर पेड़ अधिक मात्रा में होते हैं। वहां की जलवायु स्वच्छ होती है। पेड़ हमारे जीवन का अभिन्न अंग हैं और इनकी रक्षा करना हमारा दायित्व है। जब तक पृथ्वी पर पेड़ों का अस्तित्व है तब तक ही मानव सभ्यता का अस्तित्व है। इसलिए हमें पेड़ों की सुरक्षा करनी होगी। यह बाते योग गुरु विरेन्द्र श्रीवास्तव ने पंतजलि आरोग्य केंद्र के तत्वावधान में पौध वितरण करते हुए कहा।उन्होंने कहा कि भारत जैसे प्रकृति पूजक देश में पर्यावरण पर गंभीर संकट खड़े हैं और इससे निपटने में पौधारोपण एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। जाहिर है इसका समाधान प्रदूषण कम करने के साथ ज्यादा से ज्यादा मात्रा में पेड़ लगाने में है।जब से दुनिया शुरू हुई है, तभी से इंसान और क़ुदरत के बीच गहरा रिश्ता रहा है। पेड़ों से पेट भरने के लिए फल-सब्ज़ियां और अनाज मिला। तन ढकने के लिए कपड़ा मिला।घर के लिए लकड़ी मिली।इनसे जीवनदायिनी ऑक्सीज़न भी मिलती है, जिसके बिना कोई एक पल भी ज़िन्दा नहीं रह सकता। इनसे औषधियां मिलती हैं। पेड़ इंसान की ज़रूरत हैं, उसके जीवन का आधार हैं। अमूमन सभी मज़हबों में पर्यावरण संरक्षण पर ज़ोर दिया गया है। भारतीय समाज में आदिकाल से ही पर्यावरण संरक्षण को महत्व दिया गया है। भारतीय संस्कृति में पेड़-पौधों को पूजा जाता है।