बिजली कर्मियों ने इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 एवं पूर्वांचल विद्युत् वितरण निगम,केंद्र शासित प्रान्तों व उड़ीसा में निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन

बिजली कर्मियों ने इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 एवं पूर्वांचल विद्युत् वितरण निगम,केंद्र शासित प्रान्तों व उड़ीसा में निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन

डिजिटल भारत न्यूज 24×7 LIVEसंवाददाता- दिनेश उपाध्याय-(ओबरा/सोनभद्र/उत्तर प्रदेश)

ओबरा सोनभद्र नेशनल कोआर्डिनेशन कमीटी ऑफ  इलेक्ट्रिसिटी इम्पलॉईस एन्ड इंजीनियर्स (एन.सी.सी.ओ.ई.ई ) के निर्णय के अनुसार मंगलवार को देश के 15 लाख बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों के साथ उप्र के बिजली कर्मचारियों , जूनियर इंजीनियरों और अभियन्ताओं ने इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 एवं पूर्वांचल विद्युत् वितरण निगम, केंद्र शासित प्रान्तों व् उडीसा में निजीकरण के विरोध में प्रदर्शन/सभा की।इसी क्रम में इलेक्ट्रिसिटी(अमेंडमेंट) बिल 2020 और निजीकरण के विरोध में स्थानीय ओबरा तापीय परियोजना में कार्यरत कर्मचारी, जूनियर इंजीनियर और अभियंताओं ने एटीपीएस गेट के बाहर सोशल डिस्टेंसिंग का पूरी तरह पालन करते हुए विरोध प्रदर्शन किया।

केंद्र सरकार द्वारा निजीकरण के बाद उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली देने के वायदे को खारिज करते हुए विद्युत् कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति से जुड़े विभिन्न ट्रेड यूनियनों के पदाधिकारियों में इं बीएन सिंह,इं अदालत वर्मा, इं अंकित प्रकाश,इं आरजी सिंह, इं अभय प्रताप सिंह,श्री शशिकान्त श्रीवास्तव,श्री शाहिद अख्तर,श्री सत्य प्रकाश सिंह,श्री धुरंधर शर्मा,श्री राधामोहन प्रजापति,श्री अजय सिंह ,श्री सतीश कुमार , श्री योगेंद्र प्रसाद, श्री दिनेश यादव, श्री उमेश कुमार,श्री प्रह्लाद शर्मा,श्री विजय कुमार सिंह,श्री दीपक सिंह,श्री रामयज्ञ मौर्य,श्री लालचंद सहित कई प्रमुख पदाधिकारियों ने कहा कि वस्तुतः निजीकरण किसानों और आम घरेलू उपभोक्ताओं के साथ धोखा है और निजीकरण के बाद बिजली की दरों में बेतहाशा वृद्धि होगी।पूर्वांचल विद्युत् वितरण निगम का निजीकरण किसी भी प्रकार प्रदेश व् आम जनता के हित में नहीं है | निजी कंपनी मुनाफे के लिए काम करती है जबकि पूर्वांचल विद्युत् वितरण निगम बिना भेदभाव के किसानों और गरीब उपभोक्ताओं को बिजली आपूर्ति कर रहा है। निजी कंपनी अधिक राजस्व वाले वाणिज्यिक और औद्योगिक उपभोक्ताओं को प्राथमिकता पर बिजली देगी।ग्रेटर नोएडा और आगरा में निजीकरण की विफलता को देखते हुए पूर्वांचल विद्युत् वितरण निगम के  निजीकरण का प्रस्ताव हर हाल में रद्द किया जाना चाहिए।इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 में कहा गया है कि नई टैरिफ नीति में सब्सिडी और क्रास सब्सिडी समाप्त कर दी जाएगी और किसी को भी लागत से कम मूल्य पर बिजली नहीं दी जाएगी।अभी किसानों , गरीबी रेखा के नीचे और 500 यूनिट प्रति माह बिजली खर्च करने वाले उपभोक्ताओं को सब्सिडी मिलती है जिसके चलते इन उपभोक्ताओं को लागत से कम मूल्य पर बिजली मिल रही है।अब नई नीति और निजीकरण के बाद सब्सिडी समाप्त होने से स्वाभाविक तौर पर इन बिजली की लागत का औसत रु 07. 90  प्रति यूनिट है और निजी कंपनी द्वारा  एक्ट के अनुसार  कम से कम 16 % मुनाफा लेने के बाद रु 09. 50  प्रति यूनिट से कम दर पर बिजली किसी को नहीं मिलेगी।इस प्रकार एक किसान को लगभग 6000 रु प्रति माह और घरेलू उपभोक्ताओं को 6000 से 8000 रु प्रति माह तक बिजली बिल देना होगा। निजी वितरण कंपनियों को कोई घाटा न हो इसीलिये सब्सिडी समाप्त कर प्रीपेड मीटर लगाए जाने की योजना लाई जा रही है।अभी सरकारी कंपनी घाटा उठाकर किसानों और उपभोक्ताओं को बिजली देती है। सब्सिडी  समाप्त होने से किसानों और आम लोगों को भारी नुक्सान होगा जबकि क्रास सब्सीडी समाप्त होने से केवल उद्योगों और बड़े व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को लाभ होगा।
इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 पारित हो गया तो बिजली के मामले में राज्यों के अधिकार का हनन होगा और टैरिफ तय करने से लेकर बिजली की शिड्यूलिंग तक में केंद्र का दखल होगा।बिजली संविधान की समवर्ती सूची में है जिसका अर्थ यह होता है कि बिजली के मामले में राज्यों को केंद्र के समान बराबर का अधिकार है।

किन्तु इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 के जरिये बिजली के मामले में केंद्र एकाधिकार ज़माना चाहता है। मौजूदा कानून के अनुसार राज्य सरकार के कहने पर राज्य का विद्युत् नियामक आयोग किसानों,गरीबों और कम बिजली उपभोग करने वाले घरेलू उपभोक्ताओं के लिए सब्सिडी को सम्मिलित करते हुए बिजली की तर्कसंगत दरें तय करता है।नए बिल में यह प्राविधान किया गया है कि नियामक आयोग बिजली की दरें तय करने में सब्सिडी को सम्मिलित नहीं कर सकता और सभी उपभोक्ताओं को बिजली की पूरी लागत देनी होगी।इस प्रकार बिजली की दरें तय करने में गरीब उपभोक्ताओं को सब्सिडी देने के राज्य के अधिकार को छीना जा रहा है।इलेक्ट्रीसिटी (अमेण्डमेंट) बिल 2020 में बिजली वितरण का निजीकरण करने हेतु डिस्ट्रीब्यूशन सब लाइसेंसी और फ्रेन्चाइजी के जरिये निजी क्षेत्र को विद्युत् वितरण सौंपने की बात है जिससे बिजली कर्मियों में भारी गुस्सा है।फ्रेन्चाइजी का प्रयोग पूरे देश में विफल हो चुका है और वांछित परिणाम न दे पाने के कारण लगभग सभी फ्रेंचाइजी करार रद्द कर दिए गए हैं। उत्तर प्रदेश में भी आगरा में टोरेंट पावर कंपनी की लूट चल रही है और कंपनी करार की कई शर्तों का उल्लंघन कर रही है ।सी एजी ने भी टोरेंट कंपनी पर घपले के आरोप लगाए हैं।इसके अतिरिक्त इलेक्ट्रीसिटी (अमेण्डमेंट) बिल 2020 में सब्सीडी और क्रास सब्सीडी समाप्त करने की बात लिखी है जिससे आम उपभोक्ता का टैरिफ बढ़ेगा। यह बिल किसी भी प्रकार जनहित में नहीं है अतः इसे तत्काल वापस लिया जाए तथा पूर्वांचल विद्युत् वितरण निगम के निजीकरण का प्रस्ताव निरस्त किया जाये।इस दौरान इं अमित सिंह,श्री अंबुज सिंह,दिनेश चौरसिया,मृणाल पाल,उमेश चंद्र नंदू जायसवाल,सुरेश यादव ,उमेश कुमार,प्रदीप कनौजिया,ओम प्रकाश पाल,आशीष गुप्ता ,पशुपतिनाथ विश्वकर्मा , कैलाश नाथ,दीपू गोपीनाथन,श्रीजीत,,विजय प्रताप कुशवाहा,रमेश राय,अजीत साहू आदि लोग मौजूद थे।

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