पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मियों का आंदोलन जारी

पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मियों का आंदोलन जारी

नीजिकरण का प्रयोग हर जगह रहा विफल

डिजिटल भारत न्यूज 24×7 LIVEसंवाददाता- दिनेश उपाध्याय-(ओबरा/सोनभद्र/उत्तर प्रदेश)

 

ओबरा सोनभद्र पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निगमीकरण व निजीकरण के  प्रस्ताव के विरोध में विद्युत्  कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले बिजली कर्मियों ने मंगलवार को भी ओबरा में एक घंटे का सभा कर आक्रोश व्यक्त किया और इस दौरान पॉवर कारपोरेशन प्रबंधन व प्रदेश सरकार के विरुद्ध जमकर नारेबाजी की।सभा को संबोधित करते हुए वक्ताओं में इं अदालत वर्मा, उमेश कुमार,कैलाश नाथ,प्रहलाद शर्मा,इं ओपी पाल शशिकांत श्रीवास्तव ने कहा कि ऊर्जा निगमो का  शीर्ष प्रबंधन पूरी तरह से विफल हो गया है और अपनी विफलता छिपाने के लिए पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण थोपा  जा रहा है और ऊर्जा क्षेत्र में अनावश्यक टकराव पैदा किया जा रहा है। संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि  ऊर्जा निगमों  का प्रबंधन बिजली कर्मचारियों, जूनियर  इंजीनियरों और  अभियंताओं को हड़ताल के रास्ते पर धकेल रहा है। उन्होंने कहा कि संघर्ष समिति ने प्रदेश सरकार और प्रबंधन  से  विगत में किए गए निजीकरण के प्रयोगों की विफलता की समीक्षा करने की अपील की किंतु प्रबंधन निजीकरण और फ्रेंचाइजीकरण की विफलता पर कोई समीक्षा करने को तैयार नहीं है। विदित हो कि सरकार के प्रस्ताव के अनुसार पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम का विघटन कर तीन छोटे निगम बनाए जाएंगे और उनका निजीकरण किया जाएगा।

विघटन और निजीकरण दोनों की ही विफलता पर सवाल खड़ा करते हुए संघर्ष समिति का कहना है कि जब वर्ष 2000 में उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद का विघटन किया गया था तब सालाना घाटा मात्र 77 करोड़ रु था। विघटन के बाद कुप्रबंधन और सरकार की गलत नीतियों के चलते यह घाटा अब बढ़कर 95000 करोड़ रु से अधिक हो गया है। इसी प्रकार ग्रेटर नोएडा में निजीकरण और आगरा में फ्रेंचाइजीकरण के प्रयोग भी पूरी तरह विफल साबित हुए हैं।ऐसे में सवाल उठता है कि इन्हीं विफल  प्रयोगों को एक बार फिर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम पर क्यों थोपा जा रहा है।संघर्ष समिति ने विघटन और निजी करण के बाद कर्मचारियों की सेवा शर्तों पर पड़ने वाले प्रतिगामी प्रभाव और उपभोक्ताओं के लिए बेतहाशा महंगी बिजली के रूप में आने वाली कठिनाई की ओर भी सरकार व प्रबंधन का ध्यान आकर्षित किया है ।
इस दौरान इं.आरके सिंह,इं सुरेश,इं राजीव कुमार,इं अजय शर्मा,इं अंकित प्रकाश,इं अभय प्रताप सिंह,इं कमलेश सिंह,श्री सत्यप्रकाश,श्रीकांत गुप्ता,दीपू गोपिनाथन,गौरीशंकर मंडल, राम उजागिर,दिनेश यादव, दीपक सिंह, सत्यप्रकाश सिंह,शाहिद अख्तर,रामयज्ञ मौर्य,उमेश यादव,वीपीएस कुशवाहा,संजय शर्मा,रमेश रॉय,अवधेश मिश्रा,सतीश कुमार, बीडी तिवारी, शमसाद हाशमी,सुजीत सिंह,आरपी त्रिपाठी,आरबी खुरीलसहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे।

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