अब गांव-गांव में बच्चों को पढ़ा रहे चैटिंग के दीवाने, एक हजार स्कूलों को सहयोग कर रहे 13 सौ युवा

कोरबा। कोरोना काल में बच्चों की पढ़ाई एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। ग्रामीण इलाकों में रहने वाले बच्चों को ज्यादा समस्‍याएं हो रही है। इसे ध्यान में रखते हुए जिले के शिक्षकों की मदद से गांवों के फेसबुकिए और वाट्सएप में समय बिताने वाले युवाओं को पढ़ाई में सहयोग के लिए चिन्हित किया गया है। ऐसे युवा पहले ज्यादातर समय मोबाइल पर चैटिंग में व्यतीत करते थे। अब उन्हीं के एंड्रायड फोन से बच्चों तक अध्ययन सामग्री पहुंचाई जा रही है।

13 सौ युवा कर रहे सहयोग

कोरबा में एक हजार स्कूलों के बच्चों का 13 सौ युवा सहयोग कर रहे हैं। वे पांचवीं से आठवीं कक्षा तक के बच्चों को पढ़ाकर अपना योगदान सुनिश्चित कर रहे हैं। शासकीय और निजी स्कूलों भले ही बंद हों, पर अध्ययन-अध्यापन को जारी रखने के लिए नए आनलाइन सुविधाओं को अपनाया जा रहा है। इसी कड़ी में कोरबा के जिला शिक्षा अधिकारी सतीश कुमार पांडेय ने एक सलाह दी।

…और रंग लाई यह पहल

जिला शिक्षा अधिकारी सतीश कुमार पांडेय ने सरकारी स्कूल के शिक्षकों को अपने-अपने क्षेत्र के ऐसे युवाओं की पहचान करने को कहा जो अपने गांव में अक्सर मोबाइल फोन पर व्यस्त रहने के लिए चर्चित हैं। इसके बाद इन युवाओं को बच्चों की पढ़ाई में मदद की जवाबदारी सौंप दी गई। अब चैटिंग के दीवाने युवा स्कूल के शिक्षकों की मदद से अपने गांव के बच्चों के लिए आनलाइन अध्ययन सामग्री पहुंचाने के साथ उन्हें पढ़ाकर नि:शुल्‍क योगदान दे रहे हैं।

बीए एमए और डीईएलएड डिग्रीधारी भी आए आगे

कोरबा जिले में 1498 प्राइमरी और 518 मिडिल समेत पहली से आठवीं तक कुल 2016 शासकीय स्कूल संचालित हैं। इनमें एक हजार से ज्यादा स्कूलों के अंतर्गत संचालित मोहल्ला कक्षाओं में इन युवाओं की सहायता मिल रही। इससे शासकीय स्कूलों में दर्ज 64 हजार बच्चों की ऑफलाइन पढ़ाई हो रही है। पढ़ाई में सहयोग करने वाले युवा कम से कम 12वीं पास हैं। इनमें कई युवा स्नातक, पीजी और बीई के साथ डीईएलएड भी कर चुके हैं।

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