मध्य प्रदेश के जबलपुर के खनन व्यवसायी मुकेश लांबा के 13 वर्षीय पुत्र आदित्य की अपहर्ताओं ने हत्या कर दी। रविवार सुबह पनागर क्षेत्र के बिछुआ गांव के पास नहर में उसका शव मिला। पुलिस ने तीन आरोपितों को गिरफ्तार कर फिरौती के आठ लाख में से सात लाख 66 हजार रपये बरामद कर लिए हैं। घटना का मास्टरमाइंड राहुल उर्फ मोनू मुकेश लांबा का पूर्व परिचित निकला। मामले में पुलिस की कार्यप्रणाली भी सवालों के घेरे में है।
15 अक्टूबर (गुरवार) की शाम आदित्य का अपहरण हुआ था। एक घंटे के भीतर इसकी जानकारी पुलिस को दे दी गई थी लेकिन आरोप है कि पुलिस तत्काल सक्रिय नहीं हुई। इस दौरान शुक्रवार को डीजीपी विवेक जौहरी भी जबलपुर आए थे। पुलिस ने तीन आरोपितों अधारताल महाराजपुर निवासी मास्टरमाइंड राहुल उर्फ मोनू विश्वकर्मा (30), मलय राय (25) और करण जग्गी (24) को गिरफ्तार किया है। उनसे पूछताछ में चौंकाने वाली यह बात पता चली है कि पुलिस की जानकारी में पूरा घटनाक्रम होने के बाद भी आरोपितों ने आदित्य के स्वजनों से आठ लाख रपये फिरौती वसूल ली थी। यह रकम 16 अक्टूबर को दी गई थी। इसके बावजूद पुलिस अपहर्ताओं तक नहीं पहुंच सकी। अपहर्ताओं ने दो करोड़ रपये फिरौती मांगी थी।
इधर, आदित्य का शव बरामद होने की जानकारी मिलने पर धनवंतरि नगर के व्यापारी सड़कों पर उतर आए। दुकानें बंद कर पुलिस की लापरवाही पर आक्रोश जताया। पुलिस ने आरोपितों का निकाला जुलूस पुलिस ने तीनों आरोपितों का रविवार शाम चार बजे अधारताल चौराहे से जुूलूस निकाला। आरोपितों ने बताया कि उन्होंने कर्ज चुकाने के लिए आदित्य का अपहरण किया था।
आरोपित मोनू ने बताया कि आदित्य ने उसे पहचान लिया था, इसलिए उसकी हत्या कर शव को नहर में फेंक दिया था। होली से ही बना ली थी योजना सूत्रों के अनुसार मास्टरमाइंड मोनू का परिचित बिहारी नामक युवक, मुकेश लांबा के यहां काम करता था। होली के दिन बिहारी मोनू को साथ लेकर लांबा के घर मिलने गया था। तब से ही मोनू ने व्यवसायी के घर की आर्थिक जानकारी लेकर अपहरण की पूरी योजना बना ली थी। मोनू ने दो साथियों मलय और करण को शामिल कर वारदात के एक महीने पहले से रैकी करना शुरू कर दी थी।
मोनू मुकेश के घर जाता रहता था, यही कारण था कि आदित्य मोनू को पहचान गया था। 200 अधिकारियों व जवानों की टीम लगाई लेकिन सब बेकार पुलिस अधीक्षक सिद्धार्थ बहुगुणा ने बताया कि हमारी प्राथमिकता आदित्य को सकुशल बचाने की थी। फोन ट्रेसिंग से लेकर आरोपितों को पकड़ने 200 अधिकारियों व जवानों की टीम लगाई गई थी। वहीं एसपी इस बात का जवाब नहीं दे सके कि जब इतना बड़ा अमला लगा था तो बालक को क्यों बचाया नहीं जा सका?