राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग का बड़ा फैसला, मेडिकल कॉलेजों की स्‍थापना के लिए पांच एकड़ जमीन की अनिवार्यता खत्म

देश में नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना की राह आसान करते हुए नवगठित राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने पहला बड़ा फैसला लिया है। आयोग ने नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना और उनसे संबद्ध शिक्षण अस्पतालों के लिए न्यूनतम पांच एकड़ जमीन की बाध्यता को खत्म कर दिया है। इसके साथ ही कौशल विकास प्रयोगशालाओं (स्किल लैब) को अनिवार्य कर दिया गया है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने शनिवार को बताया कि राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग ने नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना और शैक्षणिक वर्ष 2020-21 से एमबीबीएस की वार्षिक सीटें बढ़ाने का प्रस्ताव करने वाले मेडिकल कॉलेजों पर लागू अनिवार्यताओं की विस्तृत सूची जारी की है। नए नियमों के मुताबिक, सौ सीटों वाले कॉलेज के लिए मेडिकल कॉलेज अस्पताल में बेड्स की संख्या 530 से घटनाकर 430 कर दी गई है, जबकि दो सौ सीटों वाले कॉलेज के लिए बेड्स की संख्या 930 से घटाकर 830 कर दी गई है।

शिक्षण अस्पताल के विभिन्न विभागों में आवश्यक बेड्स को छात्रों के हर साल प्रवेश, क्लीनिकल स्पेशियालिटी में बिताए जाने वाले शिक्षण के समय और अंडरग्रेजुएट मेडिकल प्रशिक्षण के लिए आवश्यक न्यूनतम चिकित्सकीय सामग्री के मुताबिक तर्कसंगत बनाया गया है।

नए नियमों के तहत शिक्षण संकाय में मानव संसाधन को भी युक्तिसंगत बनाया गया है। प्रशिक्षण की गुणवत्ता बढ़ाने के मकसद से शिक्षकों की न्यूनतम निर्धारित संख्या के ऊपर अतिथि शिक्षकों (विजिटिंग फैकल्टी) का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा मेडिकल कॉलेज और उससे संबद्ध शिक्षण अस्पताल जरूरत और मरीजों की संख्या के आधार पर आनुपातिक रूप से अतिरिक्त बेड्स, बुनियादी ढांचा, शिक्षक और अन्य मानव संसाधन उपलब्ध कराएंगे।
नए नियमों के मुताबिक, अगर मेडिकल कॉलेज परिसर एक से अधिक भूखंडों पर फैला है तो इनके बीच दूरी 10 किलोमीटर अथवा यात्रा के समय के लिहाज से 30 मिनट से कम होनी चाहिए। जहां सरकारी जिला अस्पताल मेडिकल कॉलेज के लिए शिक्षण अस्पताल के रूप में हैं, वहां जिला अस्पताल के सभी घटक (भले ही वे दो अलग-अलग भूखंडों में स्थित हों) संबद्ध शिक्षण अस्पताल के रूप में माने जाएंगे। इसके लिए शर्त यह है कि जिला अस्पताल में कम से कम 300 बेड हों। पहाड़ी और उत्तर-पूर्व के राज्यों में यह शर्त 250 बेड की है।
नए नियमों के मुताबिक हर मेडिकल संस्थान में कौशल विकास के लिए प्रयोगशाला होगी, जहां छात्र अपने शिक्षण के दौरान अभ्यास कर सकेंगे और खास विधा में अपने कौशल को विकसित कर सकेंगे। कौशल विकास के लिए प्रयोगशाला स्थापित करने का उद्देश्य यह है कि प्रत्येक मेडिकल संस्थान में छात्रों को एक ऐसा माहौल उपलब्ध हो जहां वे किसी चिंता-खतरे के बिना प्रैक्टिस कर सकें। दूसरे शब्दों में उन्हें ऐसा वातावरण उपलब्ध कराया जाए जो पर्याप्त तैयारी और निगरानी के बिना सीधे मरीज की चिकित्सा को लेकर उत्पन्न होने वाले खतरे को खत्म किया जा सके।
कौशल संबंधी प्रयोगशाला के लिए भूमि संबंधी जो मानक तय किए गए हैं, उनके तहत 150 एमबीबीएस छात्रों के लिए इसका क्षेत्रफल कम से कम 600 वर्गमीटर होना चाहिए, जबकि 200 और 250 एमबीबीएस छात्रों के लिए यह आवश्यकता 800 वर्गमीटर होगी। इसमें ऐसे ट्रेनर होंगे जो एमबीबीएस छात्रों की अध्ययन संबंधी आवश्यकताएं और उनके कौशल विकास में योगदान देने में सक्षम होंगे।

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