भय टूटने नहीं देता अत्याचार के शिकार हो रहे मासूमों की चुप्पी, चाइल्डलाइन पर 40 फीसद कॉल होती हैं साइलेंट

मासूमों पर हो रहे अत्याचारों को लेकर अक्सर लोग मौन रहते हैं। चुप्पी तोड़ने की कोशिश होती भी है तो कुछ ही क्षणों में झिझक फिर से रास्ता रोक लेती है। 2018 से चाइल्डलाइन पर आई फोन कॉल में साइलेंट रहीं 40 फीसद कॉल इसका सुबूत हैं। किसी ने हिम्मत कर या जिम्मेदारी समझ चाइल्डलाइन पर मदद करने के लिए 1098 पर फोन तो किया लेकिन कुछ ही क्षणों बाद उसका मन बदल गया और बिना कुछ बोले ही उसने फोन रख दिया।

बच्चों पर हो रहे अत्याचार को रोकने और उनकी मदद के लिए सरकार ने चाइल्डलाइन की शुरुआत की है और उस पर सूचना या शिकायत दर्ज कराने के लिए 1098 नंबर निर्धारित किया है। यह सुविधा देश के 595 जिलों में लागू है। इसके अतिरिक्त रेलवे की ओर से बनाई गई चाइल्ड हेल्प डेस्क पर बच्चों से संबंधित किसी भी अपराध की सूचना 135 नंबर पर दी जा सकती है। ये सेवाएं साल के सभी दिन और 24 घंटे कार्य करती हैं।

एक शब्द बोले बगैर काट दी गई कॉल

जनवरी 2018 से सितंबर 2020 तक चाइल्डलाइन पर 2.15 करोड़ फोन कॉल आईं। इनमें से 86 लाख कॉल को उठाए जाने पर दूसरी ओर से कोई नहीं बोला। यह संख्या कुल प्राप्त हुई कॉल की 40 प्रतिशत है। ज्यादातर साइलेंट कॉल में पीछे से आवाज या शोर आता रहा लेकिन बच्चों पर हो रहे अत्याचार के संबंध में एक शब्द बोले बगैर कॉल काट दी गई। जाहिर है कि शिकायत करने वाले बच्चे ने डर की वजह से अपनी बात नहीं कही या किसी मददगार ने आखिरी वक्त पर अपना इरादा बदल दिया। नतीजतन बच्चे पर होने वाला अत्याचार जारी रहा। हेल्पलाइन से जुड़े अधिकारी ने भी साइलेंट कॉल का यही कारण माना है। तमाम बार ऐसा हुआ कि एक ही नंबर से लगातार कई बार कॉल आई लेकिन कोई शिकायत नहीं की गई और 1098 नंबर मिलाकर उसे काटा जाता रहा।

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