छह साल, दो हजार करोड़ खर्च, मुख्य बांध भी नहीं हुआ पूर्ण

दुद्धी (सोनभद्र) : उतर-प्रदेश, झारखंड एवं छत्तीसगढ़ के सीमांत पर विकास क्रांति की धूरी के रूप में निर्माणाधीन कनहर सिचाई परियोजना की दशकों से थमी पहिया को छह वर्ष पूर्व आज ही के दिन (चार दिसंबर 2014) दोबारा शुरू कराया गया था। पूर्ण शासकीय इच्छा शक्ति के साथ तत्कालीन जिलाधिकारी दिनेश कुमार सिंह ने उस वक्त के जनप्रतिनिधियों के साथ अमवार में जिस अंदाज में काम शुरू कराया उससे लगता था कि 2018 तक तय लक्ष्य के पूर्व ही इसे तैयार कर लिया जाएगा। शासन, प्रशासन, जनप्रतिनिधि एवं जनता के बीच सामंजस्य बनाकर एक नहीं चार शिफ्ट में चल रहे कार्यों को देखते हुए समूचे क्षेत्र में हरियाली आने का अलग ही जज्बा दिख रहा था, लेकिन छह साल में तीन बार समयावधि व दो बार लागत बढ़ने के बावजूद परियोजना के केंद्र बिदु मुख्य बांध (स्पिलवे) का भी कार्य पूर्ण नहीं हो पाया। जबकि 2239 करोड़ वाली परियोजना पर अब तक करीब दो हजार करोड़ रुपये खर्च किया जा चुका है।

2018-19 से सुस्त पड़ी परियोजना को रफ्तार पकड़ने में अभी और वक्त लगने की बात विभागीय सूत्रों द्वारा बताई जा रही है। इसके पीछे विभागीय इच्छा शक्ति की कमी के साथ ही शासन, प्रशासन, जनप्रतिनिधि एवं विस्थापितों के बीच सामंजस्य बनाने वाली डोर काफी कमजोर हो चुकी है। परियोजना के तमाम गतिविधि पर बारीकी से नजर रखने वालों ने बताया कि इस अहम बिदु के प्रति विभागीय लापरवाही समूचे परियोजना पर भारी पड़ सकता है। किस मद में कितना हुआ खर्च

1976 में महज 30 करोड़ रुपये वाली इस परियोजना पर अब तक (सितंबर 2020) 1962.55 करोड़ रूपये खर्च किया जा चुका है। बीते सप्ताह शासन ने सीसीएल के जरिये 65 करोड़ रुपये की राशि परियोजना को और आवंटित किया है, जिसमें से करीब 53 करोड़ रुपये वन विभाग को बतौर मुआवजा के रूप में देना है। शेष राशि बकाए पर खर्च करना है। अब तक खर्च हुए रुपयों में से उत्तर प्रदेश के चिहित 3719 विस्थापित परिवारों में से लगभग तैतीस सौ परिवारों में 225.87 करोड़ रुपये विस्थापन पैकेज के रूप में वितरित किया जा चुका है। इसी तरह छत्तीसगढ़ के विस्थापितों के लिए 70.32 करोड़ एवं झारखंड को 70.44 करोड़ रुपये दिया जा चुका है। परियोजना का केंद्र बिदु स्पिलवे (मुख्य बांध) एवं विस्थापितों के पुनर्वास कालोनी समेत अन्य कई कार्यों पर लगभग नौ सौ करोड़ रुपये व्यय कर लगभग 75 फीसद कार्य पूर्ण करने की बात विभाग द्वारा बताई गई। जबकि शेष राशि नहर के लिए बनाई जा रही जल सेतु, सुरंग एवं जमीन क्रय करने में खर्च किया गया है। कोरोना से सुस्त हुई रफ्तार को गति देने का किया जा रहा प्रयास

कनहर सिचाई परियोजना के मुख्य अभियंता हर प्रसाद ने बताया कि बीते सालों की सुस्ती के बारे में तो उन्हें जानकारी नहीं है, लेकिन वैश्विक महामारी की वजह से परियोजना निर्माण की सुस्त पड़ी चाल को गति देने के लिए पूरी तैयारी की जा चुकी है। इस बाबत मातहत अभियंताओं को स्पष्ट दिशा निर्देश देने के साथ ही लगातार कार्य प्रगति पर नजर रखी जा रही है। नदी के जलधार रोकने के पूर्व विस्थापितों को डूब क्षेत्र से हटाने के लिए भी विभागीय एवं प्रशासनिक कवायद शुरू किया जा चुका है। यथाशीघ्र विभागीय प्रयास सतह पर दिखाई देंगे।

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