सोनभद्र : कोरोना जन्य लॉकडाउन में लोगों के विविध रूप दिखाई दे रहे हैं। प्रशासन की सतर्कता के बावजूद लोग कहां से आ रहे हैं, कुछ नहीं पता चल रहा है। और ये लोग कहां निकल जा रहे हैं उसे पता लगाना भी मुश्किल हो रहा है। जबकि इस घड़ी में सरकार और प्रशासन लगातार यह कह रहा है कि लोग ठहर जाएं उन्हें सभी व्यवस्थाएं दी जाएंगी। इसके लिए लगातार खबरें भी प्रकाशित हो रही हैं। फिर भी कोई मानने के लिए तैयार नहीं है।आजमगढ़ जिले की वाहन संख्या वाला एक तेल टैंकर जिला मुख्यालय के उरमौरा से गुजर रहा था। इसका ऊपरी तल बड़ी संख्या में लोगों से भरा था। किसी के मुंह पर गमछा तो कोई मॉस्क बंाधा था। ये सभी के सभी अपने को सुरक्षित मान रहे थे। कोई भूखा पेट था तो कोई प्यासा। पीठ पर बैग टांगे गांव के सफर पर निकले ये युवक कोरोना से भयभीत नहीं थे। उन्हें तो सिर्फ गांव जाने की जल्दी थी। ये किसी भी स्थिति में कहीं भी ठहरना नहीं चाहते थे। कोई अपना गांव नहीं बता रहा था। ये ऐसे लोग हैं जिन्हें गांव से कितना प्रेम है या परिवार से ये तो वही जाने लेकिन, संक्रमण से ये पूरी तरह सुरक्षित हैं यह कहना मुश्किल है। ऐसे में प्रशासन की तैयारियां धरी की धरी दिखाई प्रतीत हो रही हैं। पुलिस की सख्ती भी बेकार साबित हो रही है।
युवाओं की मानें तो इनका पलायन भी प्रायोजित नहीं है। अचानक आई समस्या का निदान उनके पास न के बराबर दिखाई दिया है। खाली जेब ने कल की चिता करा दिया। मरता क्या न करता कुछ इसी तर्ज पर इन युवाओं की योजना बनी है। झारखंड राज्य निवासी संतोष ने बताया कि हमें कुछ नहीं पता। हमें सिर्फ गांव जाना है। हम अब वहीं सुरक्षित रहेंगे। ये बातें एक तरफ बेबसी तो दूसरी तरफ संकट दोनों ही उत्पन्न कर रही है। ऐसी दशा में सरकार को ही गांव स्तर पर प्रयास करना होगा। आबादी के पलायन को जितना जल्दी हो रोकना होगा। इसी से कोरोना महामारी को दबाया जा सकता है। उसकी पहचान की जा सकती है।