कोटे का चावल मार्केट में बेचा जा रहा है
डिजिटल भारत न्यूज़24×7 वेब पोर्टल चैनल– संवाददाता- ओम प्रकाश यादव(कचनरवा/सोनभद्र/उत्तर प्रदेश)
कोटेदार द्वारा संचालित राशन की दुकानें दलाल के सहारे संचालित हैं। यानि नाम किसी का और दुकान कोई और चला रहा। इसे मजबूरी समझा जाए या कार्रवाई से बचने का नायाब तरीका, हो कुछ भी लेकिन खाद्यान्न माफिया खुद को बचाने के लिए अपनों के नाम राशन की दुकानें करा लेते हैं। यदि कहीं आरक्षण व अन्य विधिक मामला बाधा बना तो अपने शुभ¨चतकों के नाम कोटे की दुकान आवंटित कराकर खुद संचालित करते हैं। ऐसे में रसूख के दम पर सरकारी राशन की कालाबाजारी का खेल जारी है।
क्षेत्रों में संचालित हैं। नियमत: कोटेदारों को आवंटित खाद्यान्न का मूल्य बैंक के माध्यम से जमा करना होता है। कई ऐसे कोटेदार हैं जिनकी आर्थिक स्थिति उतनी सही नहीं है कि वह कोटे के लिए आवंटित खाद्यान्न की धनराशि अपने पास से जमा कर सकें। ऐसे में वह किसी बलवान व धनवान से सहायता लेते हैं। बस यहीं से खेल शुरू हो जाता है। दूसरी तरफ कई कोटेदार ऐसे भी हैं जिनके सारे कागजी कोरम उनके आका पूरा करते हैं और धनराशि भी वही जमा करते हैं। असली कोटेदारों को केवल अंगूठा लगाना व हस्ताक्षर करना होता है। वैसे कोई भी कोटेदार अपने आकाओं के सामने सिर उठाने का साहस नहीं करता और न ही अधिकारियों व माननीयों के सामने जुबान खोलता है। खाद्यान्न माफिया ने एक अलग की रास्ता निकाल लिया। अब वह कोटेदारों खाद्यान्न लेकर बाजार के दुकानदार को खाद्यान्न बेंच दे रहे हैं इसमें कुछ दुकानदार एवं शिक्षा विभाग के शिक्षामित्र सक्रिय हैं । जब जांच होती है और कोटेदार के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो जाता है। कभी-कभी तो ऐसे कोटेदार भी पुलिस की कार्रवाई की जद में आ जाते हैं जिन्हें कुछ मालूम ही नहीं होता। एक कोटेदार ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि उसके पास खाद्यान्न उठान के लिए पैसा नहीं था। उसने एक व्यक्ति से पैसा लिया तो सौदा ही हो गया। अब उसे पांच से दस हजार रुपये प्रतिमाह खाद्यान्न माफिया द्वारा दिया जाता है।
यह मामला ऐसे गरीब क्षेत्र से जुड़ा है कि जिस गरीब के पास दो जून की रोटी लाले पड़ा है फिर भी इस महामारी में इसदुष्ट दलाल ने सरेआम बाजार में लाकर अपने दुकान पर 22प्रति किलोकी दर से बेच रहा है वाह इन्सान जब किपूरा शिक्षामित्रों वपूरी विभाग इस समय पैकेज की व्यवस्था करनें में लगा हुआ है और यह लाकर बाजार में बेच रहा है जिसका प्रमाण रसद विभाग की बोरी व चावल की फोटो है