डिजिटल भारत न्यूज़24×7 वेब पोर्टल चैनल- सह-संपादक -संतोष सिंह
नई दिल्ली। आखिरकार नया कोरोना वायरस से बचने का एक मात्र उपाय घरों में बंद होना ही क्यों है? नया कोरोना वायरस में ऐसा नया क्या है, जिसके कारण न सिर्फ दुनिया के सभी देशों को अपनी सीमाएं सील करने पर मजबूर होना पड़ा, बल्कि तीन अरब से अधिक आबादी अपने घरों में कैद होकर रह गई है। वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस की भयावहता का राज ढूंढ लिया है और उसे वैज्ञानिक शोध पत्रिका नेचर से ताजा अंक में प्रकाशित भी किया गया है।
वैज्ञानिकों ने इसे सार्स कोव-दो यानी सार्स कोरोना वायरस-दो का नाम दिया
नेचर में जर्मन वैज्ञानिकों के अध्ययन के आधार पर छपे शोध के अनुसार वैसे तो नया कोरोना वायरस अपने पुराने कोरोना वायरस सार्स से काफी मिलता-जुलता है। इसीलिए वैज्ञानिकों ने इसे सार्स कोव-दो यानी सार्स कोरोना वायरस-दो का नाम दिया है।
दोनों ही वायरस मुंह और नाक से अतिसूक्ष्म कणों के सहारे फैलता है
दोनों ही वायरस मुंह और नाक से निकलने वाली पानी की अतिसूक्ष्म कणों के सहारे फैलता है। ये दोनों ही वायरस आदमी के फेफड़े में संक्रमण पैदा करते हैं, जिससे आदमी बीमार हो जाता है। दोनों ही वायरस चीन में चमगादड़ से आदमी के शरीर में पहुंचे हैं।
सार्स कोव-दो सार्स की तुलना में कई गुना ज्यादा घातक
इतनी समानता होने के बाद भी एक जरा-सा अंतर सार्स कोव-दो को सार्स की तुलना में कई गुना ज्यादा घातक बना दिया है। 2002 में सार्स वायरस ने भी दहशत का माहौल बनाया था, लेकिन थोड़ी सी सावधानी से उसे फैलने में रोकने में सफलता मिल गई थी, लेकिन नया सार्स कोव-दो वायरस रूकने का नाम नहीं ले रहा है।