अलीगढ़ में ईरानी छात्रा से छेड़खानी में एएमयू प्रोफेसर को सजा

अलीगढ़ : ईरानी छात्रा (शोधार्थी) संग द्विअर्थी संवाद और छेड़खानी के आरोपों में फंसे अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय एमबीए संकाय के प्रोफेसर डॉ. बिलाल मुस्तफा को अदालत ने सजा सुनाई है।एडीजे-तृतीय राजेश भारद्वाज की अदालत ने निचली अदालत के डॉ. बिलाल को बरी किए जाने संबंधी फैसले के खिलाफ दायर अपील की सुनवाई करते हुए एक साल की सजा सुनाई है।

साथ ही डॉ. बिलाल को अंतरिम जमानत पर रिहा भी कर दिया है।न्यायालय के इस फैसले के बाद आठ साल पुराना यह प्रकरण एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है,अभियोजन पक्ष के अधिवक्ता एडीजीसी कृष्ण मुरारी जौहरी के अनुसार एएमयू की व्यवसाय प्रबंधन की शोधार्थी ईरानी छात्रा द्वारा 2014 सिविल लाइंस में मुकदमा दर्ज कराया गया था, जिसमें एएमयू एमबीए संकाय के प्रोफेसर डॉ. बिलाल मुस्तफा निवासी सकीना मंजिल फ्रेंडस कॉलोनी को नामजद आरोपी बनाया गया था।

मुकदमे में आरोप था कि वह प्रोफेसर बिलाल के अधीन पीएचडी छात्रा है। उसका पंजीयन मार्च 2013 में हुआ। मगर पीएचडी के लिए अक्टूबर 2013 में प्रोफेसर मुस्तफा के अधीन शामिल हुई। इसके बाद से ही प्रोफेसर छात्रा को व्हाट्सएप पर द्विअर्थी संदेश भेजने लगे और तरह-तरह से तंग करने लगे। इसकी शिकायत एएमयू इंतजामिया से की गई और एसएसपी से की गई। एसएसपी ने मामले में एसपी सिटी को जांच सौंपी।

जांच के आधार पर मुकदमा छेड़खानी की धारा व आईटी एक्ट में दर्ज किया गया। न्यायालय ने इसे छेड़खानी की धारा का मुकदमा मानते हुए सुनवाई की और 17 सितंबर 2018 को निचली अदालत ने अपने फैसले में प्रोफेसर को बरी कर दिया।

निचली अदालत के फैसले के खिलाफ दांडिक अपील सत्र न्यायालय में दायर की गई, जिसकी सुनवाई करते हुए एडीजे तृतीय की अदालत ने निचली अदालत के फैसले को खारिज कर आरोपी प्रोफेसर को दोषी करार दिया है और एक वर्ष की सजा व दस हजार रुपये जुर्माने से दंडित किया है। साथ में जुर्माने में से 5 हजार रुपये पीड़ित छात्रा को देने के आदेश दिए हैं।

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