रामपार्क सिध्द बाबा मंदिर पर, आयोजित रामकथा में उमड़ा भक्तों का सैलाब, दूसरे दिन शिव विवाह व दक्ष वध प्रसंगों का हुआ सुंदर वर्णन

लोनी से वरिष्ठ पत्रकार मदन लाल की रिपोर्ट 

लोनी के रामपार्क स्थित सिद्धबाबा मंदिर पर 11 अप्रैल से शुरू हुए श्रीरामकथा के दूसरे दिन कथा पंडाल में भक्तों को सैलाब देखने को मिला। कथावाचक आदरणीय श्री अतुल कृष्ण महाराज जी द्वारा सुनाए गए शिव विवाह, स्वर्ग- नरक, जीवन के चार आश्रम, स्वर्ग-नरक की व्याख्या के साथ दक्षवध एवं सती प्रसंग द्वारा सभी भक्तों को दिव्य राम कथा ने मंत्रमुग्ध कर दिया।

कथावाचक अतुल कृष्ण भारद्वाज जी द्वारा संगीतबद्ध में गाए गए भजनों पर स्वंय लोनी विधायक समेत सभी राम भक्त झूमते नजर आए। वहीं लोनी विधायक जी ने कहा रामकथा में भक्तों की भीड़ का उमड़ना यह दर्शाता है कि क्षेत्र की जनता लोनी में रामराज्यकी स्थापना से आनंद की अनुभूति कर रही है।

लोनी में अब अच्छे दिनों की बहार देखने को मिलेगी। यह रामकथा 17 अप्रैल जनवरी तक जारी रहेगी मैं क्षेत्र की जनता को आग्रह करता हूं कि वह सभी सपरिवार रामकथा अमृत वर्षा का श्रवण करें।

श्रीमद्भागवत एवं रामचरित्र मानस के श्रवण से ही परमात्मा से मिलन है संभव: कथा व्यास अतुल कृष्ण भारद्वाज:

पूज्य व्यास महाराज जी ने अदभुत और छंदों के साथ स्वर्ग और नर्क की सुंदर व्याख्या करते हुए कहते है कि मनुष्य जब अज्ञानता वश भौतिक सुख हेतु दुराचार, पापाचार, व्यभिचार, भ्रष्टाचार में लिप्त हो जाता है तो उसे नरकीय जीवन यापन करना पड़ता है। वह परमात्मा तक नहीं पहुंच पाता हैं एवं बार बार जीवन मरण लीलाइन भटकता रहता है।

पूज्य व्यास जी बताते है कि इस कलयुग में श्रीमद्भागवत एवं रामचरित्र मानस रूपी गंगा ही प्राणी को इस भवसागर से पार कराकर आत्मा को परमात्मा से मिलन संभव है।

यानी की स्वर्ग की प्राप्ति संभव है। इस कलयुग में राम नाम एवं सत्संग ही मोक्षधाम है। इसके अतिरिक्त व्यास जी ने ग्रहस्थ जीवन के आदर्शों को भी बताया कि कैसे पति और पत्नी के मध्य संबन्ध होने चाहिए।

यह भी भगवान शिव बताते है कि जीवन में पुराणों में बताएं गए चार पड़ावों को शामिल करना चाहिए। अंतिम क्षणों में भी सन्यास आश्रम का पालन करना चाहिए। इसका मतलब घर का परित्याग नहीं बल्कि घर को ही बैकुंठ बनाना चाहिए।

हनुमान जी की तरह भगवान नाम का सुमिरन और कीर्तन करते रहें। मनुष्य को सियाराम मैं सब जग जानी के सिद्धांत पर जीवन जीना चाहिए। सभी में परमात्मा का दर्शन करना चाहिए।

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