मोक्ष से भी अधिक उत्तम है, प्रभु के श्री चरणों की प्राप्ति – स्वामी रामभद्राचार्य

वृन्दावन से शुभम शर्मा की रिपोर्ट 

वृन्दावन । प्रभु के श्री चरणों की प्राप्ति वास्तव में मेाक्ष से भी कोटि गुना अधिक उत्तम है। उक्त विचार स्थानीय वंशीवट स्थित श्री मलूक पीठ सेवा संस्थान न्यास में द्वाराचार्य जगद्गुरू श्री मलूकदास जी महाराज के 448वें अष्ट दिवसीय जयन्ती महोत्सव के उपलक्ष्य में चल रहे विभिन्न आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम के अन्तर्गत श्री शुक रामायण पर प्रवचन के चतुर्थ दिवस पर व्यास पीठ से बोलते हुए तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरू स्वामी राम भद्राचार्य देवाचार्य ने भगवान श्री राम और ताड़का के बीच हुए संवाद पर बोलते हुए व्यक्त किए।

उन्होंने ताड़का का वध करने से पूर्व उससे पूछा कि तुम्हें मोझ प्रदान करना चाहता हूँ, इस पर ताड़का ने प्रभु श्री राम से विनती करते हुए कहा कि यदि आप मुझ दीन को कुछ प्रदान करना ही चाहते हैं, तो मुझे अपने श्री चरणों की प्राप्ति प्रदान कीजिए, क्योंकि आपके श्री चरणों की प्राप्ति तो देवताओं एवं ऋषियों के लिए भी असंभव है।

उन्होंने प्रभु श्री राम द्वारा राक्षसों के वध अर्थात् हंता शब्द का भी काफी व्यापक रूप से वर्णन करते हुए कहा कि हंता शब्द के अर्थ में हिंसा का भान होता है, जबकि प्रभु श्री राम ने हिंसा की ही नहीं।

उन्होंने हंता शब्द का अभिप्राय गति प्रदान करने से जोड़ते हुए कहा कि गति चार प्रकार की बतायी गयी हैं, जिसमें से एक प्रकार मोझ प्रदान करना भी है।

इसीलिए भगवान ने राक्षसों पर हिंसा नहीं, अपितु करूणा प्रदान कर उन्हें मोझ प्रदान करने का कार्य किया था।

इससे पूर्व कथा व्यास श्याम सुन्दर पाराशर, पीपा पीठाधीश्वर बलरामदास जी देवाचार्य, परम विद्वान बसन्त शास्त्री, आचार्य पीठ के यदुनन्दन आचार्य, मोतीझील आश्रम के श्रीमहंत स्वामी जगदानन्द महाराज, श्रीगोरीलाल कुंज के महन्त श्रीकिशोरदास देवजू महाराज, आचार्य रामविलास शास्त्री, राधावल्लभ जी के अन्यन्योपासक संत रसिक माधव दास एवं गोवर्धन के विधायक ठा मेघश्याम ने मां सरस्वती के पुत्र के रूप में ख्याति प्राप्त  विभूषण जगद्गुरू स्वामी रामभद्राचार्य महाराज को माला एवं उत्तरीय पहनाकरन उनका अभिवादन किया।

आयोजनों की श्रंखला में बाल व्यास राधाकृष्ण द्वारा अपने साथियों के साथ प्रभु श्री मलूक विहारी एवं विहारिणी के पदों को बहुत ही मनमोहन प्रस्तुतिकरण किया गया।

वहीं राष्ट्रपति पुरूस्कार से सम्मानित रासाचार्य स्वामी श्री राम शर्मा के सुपुत्र कुंजबिहारी शर्मा के निर्देशन में चल रही रासलीला का भी भक्तों ने पूर्ण भाव से आनन्द रसपान किया। इस अवसर पर गोपेश कृष्ण दास, गंगा दास महाराज, रसराज, प्रवीण एवं मलूक पीठ के प्रवक्ता देव द्विवेदी सहित अनेकों संत, वैष्णव एवं भक्तगण उपस्थित रहे।

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