देश की प्रत्येक चुनावी व्यवस्थाओं पर भी बिशेष ध्यान दें सर्वोच्च न्यायालय -: सतेन्द्र सेंगर

लखनऊ : जैसा कि कुछ दिनों से देखा जा रहा था कि उत्तर प्रदेश में आगामी निकाय चुनाव को लेकर नगरों व कस्बों की प्रत्येक गलियों और बाजारों में चुनावी और आरक्षित सीटों पर चर्चायें हो रही थीं, उत्तर प्रदेश की निकाय चुनावी आरक्षण लागू होते ही कइयों समाज सेवीगण मान्य जोकि कई वर्षों से निकाय चुनाव लड़ने की आस में निरंतर समाज के लिये अपना बढ़चढ़कर हिस्सा लेते हुये आ रहे थे जोकि चुनावी आरक्षण आते ही अपनी अपनी समाज सेवा एवं सूबे के जिम्मेदारों को कोष रहे थे, जिस पर एक बार पुनः माननीय सर्वोच्च न्यायालय सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मामले की सुनवाई की, और उत्तर प्रदेश सरकार को राहत देते हुए 31 जनवरी से पहले चुनाव करवाने के इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है, कोर्ट ने यूपी सरकार की अर्जी पर नोटिस जारी करते हुए तीन सप्ताह में जवाब मांगा है, मीडिया के मुताबिक मामले की सुनवाई अभी जारी रहेगी, इसी क्रम में सवाज एवं देश के शुभ चिंतक सतेन्द्र सेंगर”संस्थापक/राष्ट्रीय अध्यक्ष” मीडिया अधिकार मंच भारत ने बार पुनः सर्वोच्च न्यायालय के फैसले की सराहना करते हुये कहा हैकि उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव आरक्षण के विवादों को माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने तत्काल संज्ञान में लेते हुये उत्तर प्रदेश के निकाय चुनावों में ब्रेक लगाकर बेहद सराहनीय देश के बिकास एवं समाज हित में किया है, वहीं दूसरी ओर सतेन्द्र सेंगर जी सर्वोच्च न्यायालय से अपील करते हुये कहा देश की चुनावी व्यवस्था ही सम्पर्क देश व समाज का भविष्य तय करता है और चुनावी व्यवस्था की किसी प्रकार की थोड़ी सी चूक, भूल करने पर समाज व देश को बड़ी मुसीबत में डाल देती है, सतेन्द्र सेंगर जी ने सर्वोच्च न्यायालय से अपील करते हुये कहा हैकि देश की प्रत्येक चुनावी नियमावली में विशेष सुधार किया जाये जिसमें इन महत्वपूर्ण बिंदुओं “चनावी नियमावली से आरक्षण को दूर रखते हुये उन व्यक्तियों को चुनाव लड़ने की अनुमति लिस्ट में सामिल किया जाये जोकि कम से कम पाँच वर्षों से निरंतर समाजिकता तौर व्योहार एवं समाज सेवा सहित क्षेत्रीय स्तर पर शाशन/प्रशासन के द्वारा चलाई जा रही जनहित कारी योजनाओं का क्रियावंत संचालन करने कराने में प्रचार प्रसार आदि में उनका योगदान रहा हो सतेन्द्र सेंगर ने सर्वोच्च न्यायालय से अपील करते हुये कहा हैकि देश में चुनावी नियमावली में आरक्षण को लागू करना लोकतंत्र की हत्या करने जैसा कृत्य है, जिससे समाज का बिकास एवं भविष्य दोनों ही अशुरक्षित है,

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