चिंतन:जीवन में किए पुण्य प्रकृति निश्चित तौर पर संचित करती है..

राधे – राधे 

आज का भगवद् चिन्तन 

कर्म फल
इस जीवन में जो भी पुण्य कर्म तुम्हारे द्वारा संपन्न किये जाते हैं, सत्य समझ लेना यह प्रकृति निश्चित ही उन्हें संचित कर देती है और आवश्यकता पड़ने पर तुम्हारी विस्मृति के बावजूद भी उनका यथा योग्य फल अवश्य ही दे दिया करती है।

जो मनुष्य दूसरों का भला करके भूल जाते हैं उनका हिसाब प्रकृति स्वयं याद रखा करती है मगर जो मनुष्य आदतन अपने पुण्यों का बहीखाता लिए फिरते हैं इस प्रकृति द्वारा फिर उनके पुण्य कर्मों को विस्मृत कर दिया जाता है।अपने पुण्यों के स्वयं ज्यादा बखान करने से भी पुण्यों का फल नष्ट हो जाता है।

याद रखना मनुष्य केवल कर्मों का खाता रख सकता है मगर उसका परिणाम घोषित नहीं कर सकता । वह अधिकार तो केवल और केवल इस प्रकृति के पास ही सुरक्षित है। जैसा और जो भी करोगे, देर – सबेर आपको उसका फल अवश्य मिलने वाला है। अतः भला करो और भूल जाओ उचित समय आने पर प्रकृति आपको स्वयं पुरस्कृत कर देगी।

डाॅ. संजीव कृष्ण ठाकुर जी
बर्मिंघम , यू.के.

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