चिंतन:पवित्र जीवन के लिए पवित्र विचार एवं पवित्र विचारों के लिए पवित्र परिवेश आवश्यक है…

 

राधे – राधे

 

आज का भगवद् चिंतन

” जीवन निर्माण ”

जीवन निर्माण में विचारों एवं संगति की बहुत बड़ी भूमिका होती है। संगति हमारे विचारों का निर्धारण करती है और विचारों से ही हमारे व्यक्तित्व का निर्माण होता है। हमारे जीवन की बुराई से ही हमारा जीवन बुरा नहीं बन जाता अपितु दूसरों के जीवन की बुराई देख-देखकर भी हमारा चित्त मलीन एवं जीवन विकारयुक्त बन जाता है।

जिस प्रकार आप जो करते हैं उसका प्रभाव आपके साथ-साथ आपके संपर्क में आने वाले लोगों पर भी पड़ता है। इसी प्रकार आपके संपर्क में आने वाले दूसरे लोग जो कुछ करेंगे उसका प्रभाव भी आपके व्यक्तिगत जीवन पर अवश्य पड़ेगा ।

चंदन वृक्ष की संगति से सामान्य वृक्षों में सुगंधी आने लग जाती है और दूध की संगति से पानी का भाव भी बढ़ जाता है। इसी प्रकार से जीवन में आपका परिवेश, आपका संग, आपका समाज आपके जीवन को मूल्यवान अथवा निर्मूल्य बना देता है। पवित्र जीवन के लिए पवित्र विचार एवं पवित्र विचारों के लिए पवित्र परिवेश का होना भी अति आवश्यक है।

गौभक्त डॉ. संजीव कृष्ण ठाकुर जी
अटलांटा , यू. एस. ए.

 

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