पते की बात : मोदी सरकार के नौ वर्ष – क्या खोया – क्या पाया?
ऊर्जा के क्षेत्र में भी मोदी सरकार ने उल्लेखनीय कार्य किया है, विद्युत बचत हेतु एलईडी लाइट को बढ़ावा, पन-चक्कीयों सौर ऊर्जा का प्रसार, पेट्रोल डीज़ल पर निर्भरता कम करने की कोशिश, इलेक्ट्रोनिक वाहनों को प्राथमिकता, तीव्र गति की रेलों का प्रारम्भ नई रेलवे लाइनों का निर्माण अनेक ऐसे बिंदु है, जिनमें मोदी सरकार की उपलब्धियां उल्लेखनीय हैं।
किन्तु कुछ ऐसे क्षेत्र भी है जहाँ मोदी सरकार को अपेक्षित सफलता हासिल नहीं हुई उनमें प्रमुख है देश में भ्रष्टाचार की व्यापकता पर नियंत्रण। स्वयं भाजपा संगठन में हर स्तर पर भ्रष्ट नेताओं की संख्या लगातार बढ़ रही है, या यूँ कहें कि वह भ्रष्टाचार को अपना नैतिक अधिकार मानने लगे तो अतिश्योक्ति न होगी, प्रत्येक कार्यकर्ता दूसरे के भ्रष्टाचार की पूरी जानकारी रखता है किन्तु बोलता नहीं, अगर कोई बोलता है तो उसकी कोई सुनता नहीं, आजतक एक भी भ्रष्टाचारी भाजपा नेता या कार्यकर्ता के विरुद्ध कोई संगठनात्मक कार्यवाही नहीं हुई और ना ही उसे पद अवनत किया गया। इतना बताना भाजपा की भ्रष्टाचार के प्रति प्रतिबद्धता बताने को पर्याप्त है।
नोट बंदी मोदी सरकार का बहुत महत्वपूर्ण व साहसिक फैसला था, उसके बहुँआयामी प्रभाव रहें, काले धन की सम्पति के साथ पडोसी देश पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की रीढ़ इस नोटबंदी ने तोड़ दी और नकली करेंसी छाप छाप कर जो अवैध कारोबार पाकिस्तान कर रहा था और भारतीय अर्थ व्यवस्था को हानि पहुंचा रहा था, वह बंद हो गया।
अनेक राज्यों के विधानसभा चुनावों में निरंतर हार से भाजपा कोई सबक ले रही है ऐसा लगता नहीं है।
हाँ! विपक्षी नेताओं पर कार्यवाही जारी है किन्तु साथ ही राजनैतिक नफरत नुकसान को दृष्टिगत रखकर उनके विरुद्ध कार्यवाही की गति बढ़ाई व घटाई भी जाती है।
एक महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है भारत में प्रत्येक सत्र पर होने वाले चुनावों में पैसे का चलन मोदी सरकार में बहुत बढ़ा है, प्रधानी से लेकर लोकसभा सदस्य तक, किन्तु *खाऊंगा ना खाने दूँगा* की घोषणा में कोई कमी नहीं है। चुनाव सुधार के क्षेत्र में कोई उल्लेखनीय काम नहीं हुआ और ना ही राष्ट्रविरोधी संस्कृति विरोधी कृत्य करने वाले राजनैतिक दलों पर कार्यवाही कि व्यवस्था की गयी है। हम आज तक कानून बनाने वाले जनप्रतिनिधियों की न्यूनतम योग्यता निर्धारित नहीं कर सकें हैं।
भ्रष्टाचार नियंत्रण में असफल रहने के बाद मोदी सरकार की सबसे बड़ी विफलता देश तथा विदेशों में हिन्दुओं के ऊपर होने वाली हिंसा उनके अपमान सनातन संस्कृति के ऊपर होने वाले हमलों को रोकने में पूर्णतः नाकामी रही है जिसे हम सबसे प्रमुख कर्तव्य मानते हैं क्योंकि 1952 में जनसंघ के निर्माण के बाद आज तक पीढियाँ जनसंघ और बाद में भाजपा के साथ इसी आशा में लगी रहीं कि 1300 वर्ष इस्लाम की प्रताड़ना और 1920 के खिलाफत आंदोलन के समय से हिन्दुओं के विरुद्ध निरंतर हो रही हिंसा, भाजपा के सत्ता में आने के बाद ना केवल थमेगी अपितु ऐसे वातावरण का निर्माण होगा कि हिन्दू अपने अपमान का बदला ले सकेगा किन्तु हुआ इसका उल्टा।
साहेब नरेंद्र मोदी जी ने *सबका साथ सबका विश्वास* का अलबेला नारा देकर हिन्दुओं के विरुद्ध हिंसा का नया खाता ही खोल दिया, अपेक्षा थी 19 जनवरी 1990 को कश्मीर से निकाले गये हिन्दुओं को न्याय मिलेगा, घाटी में हिन्दुओं के नरसंहार और बहनों के बलात्कार के प्रमाण जुटाये जायेंगे, दोषियों को सज़ा होगी उसे छोड़िये, संविधान का विवादास्पद अनुच्छेद 370 और 35 अ समाप्त हुआ किन्तु कश्मीर में 16 वर्ष का डोमिशाइल लागू कर दिया गया, रौशनी एक्ट के माध्यम से कश्मीर घाटी में मुसलमानों द्वारा कब्जाई गयी सरकारी जमीन खाली कराने कि कार्यवाही को भी आश्चर्यचकित ढंग से रोक दिया गया। (भाग – दो )
~अशोक चौधरी
अध्यक्ष – आहुति अलीगढ़