लोकसभा इलेक्शन 2024: हाथरस के चुनावी रण में भाजपा में दिलेर के बाद “अनूप बाल्मीकि” की एंट्री, सपा से जसवीर वाल्मीकि तो बसपा से हेमबाबू धनगर लडेंगे चुनाव
1991 से 2019 तक हाथरस लोकसभा सीट पर आठ बार लगातार रहा भाजपा का कब्जा
त्रिकोणीय मुकाबला! बसपा, सपा और भाजपा ने अपने-अपने प्रत्याशी बनाए बाहरी
बाहरी हटाओ स्थानीय लाओ’ को लेकर लोगों ने बाहरी प्रत्याशी के विरोध के लगाए थे पोस्टर
एबी लाइवन्यूज (अनिल चौधरी)
हाथरस:बीजेपी की केंद्रीय चुनाव समिति ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए पांचवी सूची जारी कर दी है। इस सूची में अलीगढ के खैर विधानसभा सीट से दो बार विधायक रहे अनूप बाल्मीकि प्रधान को हाथरस लोकसभा के लिए प्रत्याशी बनाया है। उनकी टिकट फाइनल होते ही भाजपा के नेताओं ने अग्रिम जीत की शुभकामनाएं देकर बधाई दी हैं।हाथरस की सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला होने के आसार हैं। पिछले 2019 में सपा-बसपा का गठबंधन भी भाजपा को परास्त नहीं कर पाया था। इस बार भाजपा का रालोद से गठबंधन हुआ है। पार्टी को उम्मीद है इसका लाभ भाजपा प्रत्याशी को मिलेगा। बसपा और सपा जीत की जुगत में लगे हैं। इन दलों के नेताओं का यह कहना है कि इस समय देश में सत्ता विरोधी लहर चल रही है और इसका लाभ उन्हें मिलेगा। भाजपा ने खैर के विधायक और राजस्व राज्य मंत्री अनूप बाल्मीकि को प्रत्याशी बनाया है। भाजपा को उम्मीद है कि इस बार भी मोदी लहर चलेगी और उसे आसानी से जीत मिल जाएगी। वही बहुजन समाज पार्टी ने हाथरस में राजनीति में नए चेहरे आगरा निवासी सॉफ्टवेयर इंजीनियर हेमबाबू धनगर को मैदान में उतारा है। बसपा को उम्मीद है कि धननगर समाज का वोट उसके पक्ष में जाएगा साथ ही पार्टी का परंपरागत वोट भी मिलेगा। बसपा पिछले कई चुनाव से इस सीट पर नंबर दो की स्थिति में रही। बसपा की रणनीतिकार चुनाव जीतने के लिए रणनीति बना रहे हैं। पार्टी के नेताओं का मानना है कि भाजपा का विरोधी वोट एग्जुट होकर बसपा को मिलेगा। वहीं समाजवादी पार्टी ने सहारनपुर निवासी जसवीर वाल्मीकि को लोकसभा का प्रत्याशी बनाया है जसवीर भी हाथरस के लोगों के लिए नए हैं। सपा के नेता लोगों का कहना है कि भाजपा का मुकाबला यूपी में केवल अखिलेश कर सकते हैं सपा को उम्मीद है कि भाजपा का विरोधी मत एकजुट होकर उसी को मिलेगा कांग्रेस से गठबंधन का लाभ भी पार्टी को मिलेगा और इस चुनाव में हाथरस की सीट पार्टी जीत जाएगी। क्योंकि सपा को अपने संगठन और पार्टी के परंपरागत वोटरों से जीत की उम्मीद है। इससे पहले हाथरस विधानसभा के लोग इस बार स्थानीय उम्मीदवार की मांग कर रहे थे। तथा बाहरी उम्मीदवारों के लिए बाहरी हटाओ स्थानीय लाओ” के पोस्टर लगाकर विरोध भी जताया था।
हाथरस की सीट पर सबसे अधिक बार रहा भाजपा का कब्जा :
हाथरस में अब तक सात बार भाजपा के सांसद रहे। रालोद-भाजपा गठबंधन से एक, कांग्रेस से चार, रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया से एक, भारतीय लोक दल से एक, जनता पार्टी सेक्यूलर से एक और जनता दल से एक बार सांसद रहे। वर्तमान में हाथरस संसदीय क्षेत्र में पांच विधानसभा क्षेत्र हाथरस, सिकंदराराऊ, सादाबाद, इगलास व छर्रा शामिल हैं। हाथरस की सुरक्षित सीट पर 1991 से भाजपा का कब्जा रहा है। 1991 में सबसे पहले लाल बहादुर रावल सांसद चुने गए। इसके बाद 1996 से लेकर 2004 तक किशन लाल दिलेर लगातार सांसद रहे। 2009 में भाजपा-रालोद का गठबंधन हुआ तो यह सीट रालोद के खाते में चली गई और यहां से रालोद प्रत्याशी सारिका ङ्क्षसह बघेल सांसद रहीं। 2014 में यहां से भाजपा के सांसद राजेश दिवाकर ने दावेदारी की और जीत 2019 में हाथरस सीट से बीजेपी के प्रत्याशी राजवीर दिलेर ने जीत हासिल की थी. उन्होंने 260208 मतों से सपा के रामजी लाल सुमन को शिकस्त दी। इस सीट पर बीजेपी और सपा के बीच सीधा मुकाबला देखने मिला था।
हाथरस में कब कौन बना सांसद :
1962 में रिपब्लिक पार्टी ऑफ इंडिया के ज्योति स्वरूप
1967 में कांग्रेस के नरदेव
1971 में भारतीय लोकदल के राम प्रसाद देशमुख
1980 में जनता पार्टी सेक्यूलर के चंद्रपाल सैलानी
1984 में कांग्र्रेस के पूरनचंद
1989 में जनता दल के डॉ. बंगाली सिंह
1991 में भाजपा के लाल बहादुर रावल
1996 में भाजपा के किशन लाल दिलेर
1998 में भाजपा के किशन लाल दिलेर
1999 में भाजपा के किशन लाल दिलेर
2004 में भाजपा के किशन लाल दिलेर
2009 में रालोद की सारिका सिंह
2014 में भाजपा के राजेश दिवाकर
2019 में भाजपा के राजवीर दिलेर