जिला संवाददाता- जगबली प्रसाद /कोन /चोपन/सोनभद्र
कोन /सोनभद्र – दुनिया का सबसे बड़ा अभिशाप शायद गरीबी है | उसमें तकलीफ और बढ़ जाती है जब आपका रुपया समय और जरूरत पर ना मिले, तो उस रुपए की जरूरत क्या है | कोरोना नामक महामारी और लॉक डाउन ने इंसान की जिंदगी को ही पटरी से उतार दिया | किसी तरह इंसान घरों में कैद रखकर दो वक्त की रोटी खाकर जिंदगी जी रहा था |
सरकार भी लोगों के खातों में पैसा डाल रही थी, ताकि वह भूखे ना रहे, उनका काम ना रुके | लेकिन सरकार के नियम भी अजीब होते हैं, जो कभी कभी साधारण और गरीब जनता को बहुत तकलीफ देते हैं |यह नियम तो कभी-कभी इंसान की जिंदगी ही छीन लेते हैं |
सरकार ने घोषणा की कि कुछ बैंकों का विलय दूसरे बैंकों में हो रहा है | उसी में से एक बैंक है इलाहाबाद बैंक | इस बैंक का विलय इंडियन बैंक में हो गया |तमाशा तो गरीब जनता के साथ यहीं से शुरू हुआ |
विलय के बाद नए बने इंडियन बैंक की मुख्य ऑफिस चेन्नई से केवाईसी वेरीफिकेशन के नाम पर काफी लोगों के खाते 16/04/2020 को बंद कर दिए गए |
अकेले इलाहाबाद बैंक (इंडियन बैंक) कोन में 88000 खाताधारक हैं | जिनमें से 17000 खाताधारकों का खाता बंद कर दिया गया | इन 17000 खाताधारकों में सरकारी कर्मचारी, गरीब किसान आदि हैं | जो अपना पैसा बिना केवाईसी वेरीफिकेशन के नहीं निकाल सकते |
समस्या यहीं नहीं खत्म होती है जनाब | केवाईसी के लिए सोशल डिस्टेंस का पालन भी जरूरी है | इसके लिए बैंक में कांस्टेबल संजय मिश्रा, खुशबू यादव, उमासिंह,होमगार्ड दिवाकर चौबे मौजूद थे | इनकी मौजूदगी में बैंकों द्वारा टोकन दिया जा रहा है | वर्तमान में जुलाई तक का टोकन बांटा जा चुका है | अब अगस्त का टोकन बट रहा है |
मतलब सीधी भाषा में अगर आप को समझाएं |आपको आपका पैसा आज चाहिए तो टोकन लीजिए और अगस्त को मिली तारीख पर बैंक आइए | केवाईसी वेरीफिकेशन कराइये फिर उसके बाद पैसा निकालिए |
वाह रे सरकारी नियम पैसे की जरूरत आज है और गरीब जनता को 60 दिन बाद आना होगा | इस बीच अगर पैसों के अभाव में, इलाज के अभाव में उसकी जान चली जाए तो उसकी कमाई हुई यह दौलत उसके किस काम की, जो वक्त पर उसे मिल ही नहीं सकी |
सरकार की नीतियों पर यह एक बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह है | इसका निराकरण सरकार और प्रशासन दोनों को करना होगा | कोन शाखा की तरह जिले में ना जाने इलाहाबाद बैंक की कितनी शाखाएं हैं | जिसमें लाखों बेकसूर सरकारी नियम की वजह से बेमौत मारे जा रहे हैं | आखिर सरकार गरीबो का पैसा उनके खातों में भेज क्यों रही हैं, जब जरूरत पर हम उसे निकाल ही नही सकते l