चार गांवों तक सिमटी पेयजल समूह योजना
डिजिटल भारत न्यूज़ 24 x7LiVE- उप संपादक-चन्द्रशेखर प्रसाद
डाला(सोनभद्र) : गांव-गांव तक स्वच्छ पेयजल मुहैया कराने के लिए 1978 में स्थापित कोटा ग्राम समूह पेयजल योजना की हालत बदतर हो गई है। 12 टोलों में सप्लाई के लिए लगाई जाने वाली योजना अब चार टोलों तक सिमट कर रह गई है। स्वच्छ पानी की जगह गंदा पानी लोगों के घरों तक पहुंच रहा है, हालांकि इस योजना का कार्यकाल समाप्त हो गया है।
ग्राम समूह पेयजल योजना 18 वर्षो तक बंद रही। 2009 में क्षेत्रीय लोगों की मांग पर जन प्रतिनिधियों की पहल से अस्थायी तौर पर फिर से जिला प्रशासन ने पेयजल योजना की शुरुआत की। लंबे समय तक पेयजल आपूर्ति बंद होने से आधा दर्जन से अधिक गांवों तक जाने वाला पाइप लाइन पुरी तरह से जाम हो गया। स्वच्छ पानी देने के लिए लगा फिल्टर वाटर टैंक भी जाम हो गया। उसी समय से लोगों को कनहर नदी में लगा सबमर्सिबल पंप द्वारा पानी उठाकर बिना फिल्टर किए ही सिधे ऊंची पहाड़ी पर बने टंकी में डाला जाता है। इससे लोगों को प्रदूषित पानी मिल रहा है। इन गांवों में पहुंचाना था पानी ग्राम समूह पेयजल योजना से कोटा खास, बरसौना टोला, अम्माटोला, डहकूडंडी, भक्सीहवां, रहवारी खाड़ी, मझौली, औराडंड़ी, हेठुवां, सरपतवां, पश्चिमी वसुधा व पूर्वी वसुधा के गांवों तक पाइप लाइन बिछाकर पानी की सप्लाई की जाती थी। लखनऊ से आई टीम ने किया था सर्वे वर्ष 2017-18 में लखनऊ से आई प्रशासनिक टीम ने कोटा पेयजल योजना को सुधारकर पुन: नए सिरे से स्थापित करने को लेकर सर्वे भी किया था। लेकिन उसके बाद भी पेयजल समस्या का समाधान नहीं हो सका। पंप संचालन के लिए दो कर्मचारी तैनात किए हैं। कोटा खास में लगभग 150 कनेक्शन, बरसौना टोला में 20, अम्माटोला में 2 व डहकूडंडी में मात्र आठ कनेक्शन ही रह गया है। पानी की सप्लाई प्रतिदिन केवल एक घंटा सुबह के समय ही किया जाता है। पेयजल कनेक्शनधारियों को 50 रुपये प्रतिमाह शुल्क लेने का प्रविधान है, लेकिन कर्मचारियों ने बताया कि जितना कनेक्शन है उसके आधे से भी कम लोग ही पैसा जमा करते हैं। बोले अधिकारी..
कोटा ग्राम समूह पेयजल योजना का कार्यकाल समाप्त हो गया है। जिन गांवों में पानी नहीं पहुंच रहा है, उस गांव को भागीरथी योजना में शामिल कर लिया गया है।
-फणीन्द्र राय, एक्सईएन, जल निगम।