कई वर्षों बाद ओबरा का उत्पादन होगा 800 मेगावाट

कई वर्षों बाद ओबरा का उत्पादन होगा 800 मेगावाट
सह-संपादक -संतोष सिंह (ओबरा/सोनभद्र/ उत्तर प्रदेश)
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ओबरा (सोनभद्र) : पिछले माह सिक्रोनाइज हुई ओबरा तापघर की 12वीं इकाई सहित अन्य इकाइयों के पूरी क्षमता से उत्पादन होने पर ओबरा की उत्पादन क्षमता के 800 मेगावाट तक पहुंचने की संभावना है। फिलहाल बिजली की मांग में कमी के कारण 200 मेगावाट वाली चारों इकाइयों से 665 मेगावाट तक उत्पादन कराया जा रहा है।

दरअसल, पिछले एक दशक से चल रहे 200 मेगावाट वाली पांच इकाइयों के जीर्णोद्धार के कारण ओबरा परियोजना का उत्पादन 500 मेगावाट के आसपास ही रहा है। लगभग 16 माह पहले भी ओबरा परियोजना का उत्पादन 700 मेगावाट होने की संभावना पैदा हुई थी। तब जीर्णोद्धार प्रक्रिया के पूरा होने पर सितंबर 2018 में 12वीं इकाई को सिक्रोनाइज (चालू करना) किया गया था लेकिन, अक्टूबर 2018 में हुए अग्निकांड ने उत्पादन वृद्धि पर विराम लगा दिया था। अग्निकांड से पहले नौवीं, 10वीं और 11वीं इकाई उत्पादनरत थी। अग्निकांड के तीन महीने के अंदर तीन इकाइयों को चालू कर दिया गया था, लेकिन बीते नवंबर 2019 को दसवीं इकाई में बड़ी तकनीकी दिक्कत पैदा हो गई। इसके कारण लगभग तीन महीने तक ओबरा का उत्पादन 400 मेगावाट से कम हो रहा था।
बहरहाल, बीते 20 नवंबर 2019 को हाई एक्सियल शिफ्ट हो जाने के कारण बंद हुई दसवीं इकाई को 17 फरवरी को लाइटअप कर दिया गया। वहीं 20 फरवरी को 12वीं इकाई को भी लाइटप किया गया। अब लगभग सात वर्षों बाद पुन: चार इकाइयों के चालू होने से पुन: 700 मेगावाट से ज्यादा उत्पादन होने की स्थिति बन गई है। मंगलवार सुबह नौवी इकाई से 186 मेगावाट, दसवीं से 169 मेगावाट, 11वीं इकाई से 149 एवं 12वीं से 168 मेगावाट उत्पादन हो रहा था।

ओबरा की 8 इकाइयां हो चुकी हैं बंद

ओबरा तापीय परियोजना में कुल 13 इकाइयां हैं। जिसमें 50 मेगावाट की 5 इकाइयां, 100 मेगावाट की तीन इकाइयां और 200 मेगावाट की पांच इकाइयां हैं। इकाइयों के काफी पुरानी होने के कारण 50 मेगावाट की तीन, 100 मेगावाट की दो इकाइयों को हमेशा के लिए बंद कर दिया गया। इसके अलावा 200 मेगावाट की सभी इकाइयों का लगभग एक दशक से भेल द्वारा जीर्णोद्धार किया जा रहा है। वर्तमान में 200 मेगावाट वाली 13वीं इकाई का जीर्णोद्धार चल रहा है। पुरानी इकाइयों को बंद करने के केंद्र सरकार की लटकी तलवार के बीच ओबरा के उत्पादन वृद्धि ने काफी राहत पहुंचाई है। अक्सर कोयले की कमी के साथ अपेक्षित अनुरक्षण में कमी के बावजूद 200 मेगावाट वाली इकाइयों से उत्पादन ने इनके भविष्य पर छाए संकट को कम किया है। कभी बड़ी क्षमता की इन इकाइयों को वर्तमान में छोटी इकाई माना जा रहा है। 500 या उससे ज्यादा क्षमता की इकाइयों के बढ़ते प्रचलन के बीच प्रदेश की सबसे पुरानी इन इकाइयों के अपेक्षित उत्पादन से परियोजना प्रशासन को भी राहत मिली होगी। उधर अभियंता संघ के क्षेत्रीय सचिव इ. अदालत वर्मा ने चारो इकाइयों के चालू होने पर उत्पादन प्रोत्साहन भत्ता शुरू करने की मांग की है।

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