लॉक डाउन में सामने आया पुलिस का अमानवीय चेहरा, दुकानदार को बेरहमी से पीटा, कप्तान ने किया लाइन हाजिर

सह-संपादक -संतोष सिंह (ओबरा/सोनभद्र/ उत्तर प्रदेश)
सोनभद्र । इस समय पूरा देश कोरोना जैसी महामारी से जूझ रहा है । जिसकी वजह से सरकार ने पूरे देश में लॉक डाउन का आदेश दे दिया है। लॉक डाउन की वजह से लोगों को राहत पहुंचाने के लिए सरकार ने डोर2डोर मदद पहुंचाने का निश्चय किया है । जिसके बाद इस व्यवस्था को लागू करने के लिए अलग-अलग इलाकों में दुकानदारों को लाइसेंस दिया गया ताकि वे घरों में रह रहे लोगों तक जरूरत का सामान पहुंचा सके । लेकिन चोपन थाना क्षेत्र के मारकुंडी में एक ऐसा मामला सामने आया जिसके बाद सोनभद्र पुलिस की किरकिरी होनी शुरू हो गई ।


मारकुंडी में दुकानदार पाल जर्नल स्टोर को लॉक डाउन के दौरान घरों में राशन सप्लाई का जिम्मा मिला था । नगर पंचायत चुर्क-घुरमा ने बाकायदा इसके लिए पास जारी किया था ।
दुकानदार ने बताया कि शनिवार को ज़ब वह दुकान में लोगों का सामान पैक कर रहा था उसी समय घुरमा के चौकी इंचार्ज आये और उससे दुकान किसके आदेश से खोला गया, यह पूछने लगे । ज़ब दुकानदार ने पास दिखाते हुए यह बताया कि यह पास एसडीएम सदर द्वारा जारी किया गया है तो चौकी इंचार्ज यह कहकर अपशब्द बोलने लगा कि चौकी का सिस्टम फॉलो किये बगैर दुकान कैसे खोले ।
दुकानदार का कहना है कि उन्होंने एक बार फिर पास दिखाते हुए कहा कि यह पास लोगों तक सामान पहुंचाने के लिए उसे जारी किया गया है, इतना ही नहीं दुकानदार के अलावा सप्लाई पहुंचाने के लिए उसके 4 लोगों का भी पास जारी किया गया है जो दीवारों पर भी चस्पा है । मगर अपनी जिद्द पर अड़े चौकी इंचार्ज दुकानदार से बार-बार अपनी सिस्टम की बात करता रहा ।आखिरकार वह गाली-गलौज पर उतारू हो गया।
दुकानदार के बेटे का कहना है कि जब वह गाली देने से मना करने लगा तो उसे पीटना शुरू कर दिया और इतना ही नहीं उसे तथा पिता को दौड़ा-दौड़ा कर पीटने लगा । दुकानदार के बेटे ने बताया कि चौकी इंचार्ज के साथ उसके सिपाही भी पीट रहे थे । उसने बताया कि उसके पिता किसी प्रकार जान बचाकर इधर-उधर भाग निकले मगर वह एक पड़ोस के घर में घुस गया ।
जहां अंदर जाकर भी उसे बेरहमी से तब तक पीटते रहे जब तक वह बदहवास होकर नहीं गिर गया । दुकानदार ने बताया कि इस कार्रवाई के बाद चौकी इंचार्ज उसे पकड़ कर चोपन थाने पर ले जाकर बंद कर दिया । दुकानदार ने बताया कि थाने पर भी उसे धमकी दी जाने लगी कि वह चौकी इंचार्ज के पक्ष में लिख कर दें । दुकानदार ने बताया कि थाने पर उसकी वीडियो रिकॉर्डिंग भी कराई गई । जिसमें यह बोलने के लिए जोर दिया गया कि मारकुंडी घटना के लिए वही जिम्मेदार है । दुकानदार ने बताया कि उसे रात को छोड़ा । जिसके बाद वह रात में ही जिला अस्पताल में अपने बेटे का मेडिकल कराया और सुबह इस घटना की जानकारी उच्चाधिकारियों को दी । दहशत में रह रहे पाल जर्नल स्टोर के दुकानदार डर की वजह से रविवार को पूरे दिन दुकान बंद रखा ।
कोरोना जैसी महामारी में लोगों की जिंदगी बचाने में पुलिस का उतना ही अहम रोल है जितना एक डॉक्टर व अन्य लोगों का । मगर सोनभद्र में पुलिस का यह अमानवीय चेहरे ने न सिर्फ ख़ाकी को बदनाम किया है बल्कि इस मुश्किल घड़ी में बाधा भी पहुंचाया है ।
यहाँ एक सवाल यह भी उठता है कि यदि चौकी इंचार्ज कोई गलत कार्य कर रहा था तो थाने की पुलिस उसे समझाने के बजाय उसका साथ क्यों दिया ? क्या पूरा सिस्टम मिलकर ही चलाया जाता है ।
पूरे मामले की जानकारी ज़ब मीडिया के माध्यम से अधिकारी को हुई तो चौकी इंचार्ज को तत्काल लाइन हाजिर कर दिया ।

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