वृंदावन । श्री धाम वृंदावन के परिक्रमा मार्ग में चामुंडा मंदिर के पास स्थित शेष नारायण मंदिर पर 9 वे वार्षिकोत्सव के अंतर्गत श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के चतुर्थ दिवस की कथा कहते हुए व्यासपीठ से भैया जी महाराज ने बताया कि अगर श्रृद्घा और विश्वास के साथ श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण करें तो जीवन सुखमय हो जाता है। साथ ही मोक्ष कि प्राप्ति होती है। जड़मित कथा, प्रहलाद चरित्र कथा एवं कृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत पुराण सबसे महान है। इसे सुनने से राजा परीक्षित को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। मानव जब इस संसार में जन्म लेता है तो चार व्याधि उत्पन्न होती हैं। रोग, शोक, वृद्घापन और मौत मानव इन्हीं चार व्याधियों से जूझता हुआ मायारूपी संसार से विदा होता है। सांसारिक बंधन में जितना बंधोगे उतना ही पाप के नजदीक पहुंचेगा इसलिए सांसारिक बंधन से मुक्त होकर परमात्मा की शरण में जाओ तभी जीवन रूपी नैय्या पार होगी। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों के घरों से माखन चोरी की। इस घटना के पीछे भी आध्यात्मिक रहस्य है। दूध का सार तत्व माखन है। उन्होंने गोपियों के घर से केवल माखन चुराया अर्थात सार तत्व को ग्रहण किया और असार को छोड़ दिया।
प्रभु हमें समझाना चाहते हैं कि सृष्टि का सार तत्व परमात्मा है। इसलिए असार यानी संसार के नश्वर भोग पदार्थों की प्राप्ति में अपने समय, साधन और सामर्थ को अपव्यय करने की जगह हमें अपने अंदर स्थित परमात्मा को प्राप्त करने का लक्ष्य रखना चाहिए। इसी से जीवन का कल्याण संभव है।
वास्तविकता में श्रीकृष्ण केवल ग्वाल-बालों के सखा भर नहीं थे, बल्कि उन्हें दीक्षित करने वाले जगद्गुरु भी थे। श्रीकृष्ण ने उनकी आत्मा का जागरण किया और फिर आत्मिक स्तर पर स्थित रहकर सुंदर जीवन जीने का अनूठा पाठ पढ़ाया।