वृन्दावन । रंगभरनी एकादशी पर ब्रज में होली की धूम है। मथुरा से लेकर वृंदावन तक आस्था के अद्भुत रंग बिखर रहे हैं। वृंदावन के विश्व प्रसिद्ध श्रीबांकेबिहारी मंदिर में जन-जन के आराध्य ठाकुर बांकेबिहारी ने श्वेत पोशाक धारण कर, रजत सिंहासन पर विराजित होकर भक्तों को दर्शन दिए। रंगभरनी एकादशी पर ठाकुर बांकेबिहारी ने सोने-चांदी की पिचकारी से भक्तों पर रंग बरसाए। इस परंपरा के बाद मंदिर में रंग वाली होली का शुभारंभ हो गया। इस अवसर पर मंदिर में भक्तों की भारी उमड़ी है।
रंगभरनी एकादशी पर मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर होली के भव्य आयोजन हो रहे हैं। जन्मभूमि में प्रवेश के लिए सुबह से ही भक्तों की कतार लग गई। मंदिर परिसर में रंगों की बरसात हो रही है, जिससे सतरंगी छटा छाई हुई है।
बांकेबिहारी मंदिर के सेवायत नितिन सांवरिया गोस्वामी के अनुसार रंगभरनी एकादशी पर श्रीबांकेबिहारी के लिए शुद्ध केसर का रंग बनाया गया है। सेवायत सबसे पहले स्वर्ण रजत निर्मित पिचकारी से स्वेत वस्त्र धारण किए हुए ठाकुरजी के ऊपर रंग डालते हैं, इसके बाद होली का परंपरागत शुभारंभ होता है। उन्होंने बताया कि मंदिर में टेसू के रंगों के साथ-साथ चोवा, चंदन के अलावा अबीर गुलाल से होली खेली जाती है। यह होली रंगभरनी एकादशी से शुरू होकर पूर्णिमा की शाम तक होती है।
मंदिर सेवायत रघु गोस्वामी ने बताया कि धूलैड़ी वाले दिन ठाकुरजी भक्तों पर रंग नहीं डालते बल्कि स्वर्ण सिंघासन पर गुलाबी पोशाक पहनकर राजा बनकर बैठते हैं और अपने भक्तों को होली खेलते देखते हैं। इसी दिन सुबह मंदिर के सेवायतों के द्वारा क्षेत्र में चौपाई निकाली जाती है। समाज गायन के साथ बधाई गीत होते हैं।