बुधादित्य योग,रवि योग एवं सर्वार्थ सिद्धि योग जैसे शुभ योगों में होगी, मां दुर्गा की आराधना : स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज

 

अलीगढ़ से तुषार की रिपोर्ट 

अलीगढ़। मां दुर्गा को सुख समृद्धि और धन की देवी माना जाता है,साल भर में दुर्गा की आराधना हेतु चार नवरात्रि आती हैं, जिसमें चैत्र नवरात्रि और शारदीय नवरात्रि के अलावा दो गुप्त नवरात्रि और होती हैं। चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से लेकर नौ दिनों तक चैत्र नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है।

चैत्र नवरात्रि संवत्सर की पहली नवरात्रि होती हैं, ब्रह्म पुराण में नवरात्रि के पहले दिन आदि शक्ति प्रकट हुई थी और देवी के आदेश पर ब्रह्माजी ने चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को सृष्टि के निर्माण की शुरुआत की थी।इस बार चैत्र नवरात्रि का प्रारंभ 2 अप्रैल से हो रहा है।

प्रत्येक नवरात्रि में मां दुर्गा अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर आती हैं और विदाई के समय माता रानी का वाहन अलग होता है। इस बार चैत्र नवरात्रि में धाता योग रेवती नक्षत्र में माता का आवागमन घोड़े पर होगा, क्योंकि नवरात्रि का आरंभ शनिवार को हो रहा है। चैत्र नवरात्रि के विषय में यह जानकारी वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी महाराज ने दी।

स्वामी पूर्णानंदपुरी जी महाराज के अनुसार किसी भी तिथि का क्षय नहीं होने के कारण नवरात्रि महोत्सव पूरे नौ दिनों तक चलेगा। इस दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों का विधिवत पूजन अर्चन किया जायेगा। चैत्र नवरात्रि में मकर राशि में शनि देव मंगल के साथ रहकर पराक्रम में वृद्धि करेंगे।

शनिवार से नवरात्रि का प्रारंभ शनिदेव का स्वयं की राशि में मकर में मंगल के साथ रहना सिद्धि कारक होगा। माता के भक्तों को इस दौरान कार्यो में विशेष सफलता के साथ मनोकामना की पूर्ति तथा साधना में सिद्धि मिलेगी।

स्वामी जी ने बताया कि नवरात्रि में कुंभ राशि में गुरु शुक्र के साथ रहेंगे। मीन राशि में सूर्य के साथ बुध होने से सूर्य बुध आदित्य योग का निर्माण होगा। चंद्रमा मेष, राहु वृषभ में तथा वृश्चिक में केतु विराजमान रहेंगे इसके साथ ही रवि पुष्य नक्षत्र के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, नवरात्रि के प्रभाव को और बढ़ाएंगे। सर्वसिद्धि योग का संबंध लक्ष्मी से है। इस योग में कार्य करने से कार्यों की सिद्धि होती है। वहीं रवि योग समस्त दोषों को नष्ट करने वाला माना जाता है। इसमें किया गया कार्य हमेशा फलीभूत होता है।

घटस्थापन के मुहूर्त की जानकारी देते हुए स्वामी श्री पूर्णानंदपुरी जी ने बताया कि 2 अप्रैल प्रातः 6:10 से 8:31 तक यानी 2 घंटा 21 मिनट का समय घटस्थापना के लिए शुभ व श्रेष्ठ रहेगा उसके बाद अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12:00 से लेकर 12:50 तक रहने के कारण घट स्थापना कर सकते हैं।

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