वृन्दावन : जल ही जीवन है – स्वामी हरिदास पीठाधीश्वर, श्री राधा प्रसाद देव जू

शुभम शर्मा की रिपोर्ट

वृन्दावन । श्री हरिदासिय राधा प्रसाद सेवा ट्रस्ट के तत्वावधान में स्वामी श्री हरिदास पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी श्री राधा प्रसाद जू के निर्देशन में शनिवार की दोपहर को असहाय व निर्धनता माताओं को भीषण गर्मी में ठंडे जल की सुविधा हेतु करीब 1100 मटको का वितरण किया गया।

मटको का वितरण चतु: संप्रदाय विरक्त वैष्णव परिषद के महंत मोहनी बिहारी शरण महाराज के द्वारा चैतन्य विहार स्थित महिला सेवा सदन, सुनरख मार्ग स्थित कृष्णा कुटीर, परिक्रमा मार्ग स्थित मैत्री भवन और निज आश्रम श्री ललित कुंज और श्री राधा प्रसाद धाम से मटको का वितरण किया गया।

वही इस मौके पर श्री स्वामी हरिदासिय पीठाधीश्वर स्वामी श्री राधा प्रसाद देव जी महाराज ने कहा कि जल ही जीवन है और जीवात्मा की सेवा करना ही सनातन धर्म में सर्वोपरि माना गया है।

ऐसा कहा जाता है, कि जीवात्मा की सेवा करने से ठाकुर जी की परम कृपा की प्राप्ति होती है। वही इस भीषण गर्मी में ट्रस्ट व आश्रम के अनुयायियों के सहयोग से लगातार 30 वर्षों से मटको का वितरण जारी है। यह मटके खास तौर पर राजस्थान से सेवा हेतु मगाए जाते हैं। वही इस भीषण गर्मी में आश्रम के द्वारा जगह-जगह पर गाय माता और पक्षियों के लिए भी जल पात्रों की व्यवस्था की जाती है।

साथ ही इस मौके पर मोहिनी बिहारी शरण महाराज ने कहा कि पूज्य सदगुरुदेव महामंडलेश्वर स्वामी श्री राधा प्रसाद देव जू महाराज के आज्ञा अनुसार करीब 30 वर्षों से चली आ रही परम्परा का निर्वहन करते हुए गरीब विधवा माताओ और साधुओ के लिए भीषण गर्मी में ठंडे जल हेतु मटको का वितरण किया गया है।

यह मटके राजस्थान से मंगाए जाते है। इन मटको को गरीबो का फ्रिज भी कहा जाता है। उन्होंने कहा कि गरीब विधवा माताओं के लिए भीषण गर्मी में पेयजल का संकट गहरा जाता है, क्योंकि कोरोना के बाद से यहां पर फ्रिज का पानी पीना मना है।

जिसके चलते माताओ को ठंडा पानी मुहैया नही होता है। इसी परेशानी को देखते हुए श्री हरिदासिय राधा प्रसाद सेवा ट्रस्ट के द्वारा मटके रूपी गरीब फ्रिजों का वितरण किया गया है। जिससे कि माताओं को ठंडे पानी की सुविधा हो सके।

वही इस मौके पर मानव सेवा प्रकल्प के अध्यक्ष चन्दन सिंह वैद्य, मुकेश चन्द्र,देबेन्द्र सिंह,सुमित अग्रवाल,अतुल अग्रवाल,सूरज मिश्रा, गौरव त्रिपाठी आदि मौजूद रहे।

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