ससुराल में पत्नी के मायके की ज्यादा दखल बढ़ा रही अलगाव और आर्थिक बदहाली

लखनऊ विश्वविद्यालय के विधि संकाय में वैवाहिक मामलों के शीघ्र निपटारे के लिए गठित केंद्र के सर्वेक्षण में यह पाया गया है कि कोविड-19 के दौरान ज्यादातर वैवाहिक मामलों में तलाक के बढ़ोतरी का मुख्य कारण ससुराल में पत्नी के मायके की दखलअंदाजी व आर्थिक बदहाली है।

साथ ही दंपती का मोबाइल पर घंटों बिताना व एक-दूसरे को पर्याप्त समय न देना भी अवरोध का कारण बन रहे हैं।
यह निष्कर्ष संकाय में सेंटर फॉर एक्सीलेंस के तहत शुरू किए गए ‘सेंटर फॉर वूमेन इंपावरमेंट’ में आने वाले मामलों से निकला है।
सेंटर समन्वयक प्रो. राकेश कुमार सिंह ने बताया कि स्थापना के दिन से ही केंद्र में विवाह, तलाक, भरण-पोषण, उत्तराधिकार आदि से संबंधित मामले आ रहे हैं।
जिनमें पक्षकारों द्वारा इस संबंध में कानूनों की जानकारी ली जा रही है। साथ ही वे व्यक्तिगत मामलों को लेकर भी केंद्र में आ रहे है।
बताया कि ज्यादातर मामलों में मायके वालों के हस्तक्षेप के कारण महिला अपने ससुराल व मायके में सामंजस्य स्थापित नहीं कर पा रही है और घर बसने से पहले ही उजड़ जा रहे है।
इस संबंध में कुटुंब न्यायालय भी काउंसिलिंग के दौरान सुलह-समझौते कराने में कारगर सिद्ध नहीं हो रहे है। ऐसे मामलों के निस्तारण में मध्यस्तता, काउंसिलिंग, सुलह-समझौता का सहारा लिया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि तलाक के कानूनों में महिलाओं को ज्यादा अधिकार दिए गये है, लेकिन कानूनों एवं उनकी प्रक्रियाओं के बारे जानकारी का अभाव है।
वहीं, इस केंद्र की ओर से शनिवार को ई-कार्यशाला आयोजित की गई। इसमें वक्ताओं ने तलाक पर बने हिंदू, मुस्लिम, क्रिश्चियन व पारसी कानूनों के बारे में जानकारी दी। कार्यशाला का उद्घाटन डीन लॉ प्रो. सीपी सिंह व संयोजन प्रो. राकेश कुमार सिंह ने किया। अंत में प्रो. बीडी सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
हिंदू विधि में पति-पत्नी के बीच तलाक के कानूनों में विभिन्नता
बीएचयू के प्रो. प्रदीप कुमार ने कहा कि हिंदू विधि में पति-पत्नी के बीच तलाक के कानूनों में विभिन्नता है जबकि पारसी कानून दोनों को समान अधिकार देता

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