चिंतन:स्वयं के पुरुषार्थ के बिना जीवन में उन्नति एवं उत्थान के द्वार भी स्वतःबंद हो जाते हैं..

राधे-राधे

आज का भगवद चिंतन
04 – 01 – 2023

स्वयं की यात्रा
स्वयं के पुरुषार्थ के बिना जीवन में उन्नति एवं उत्थान के द्वार भी स्वतः बंद हो जाते हैं। दूसरे आपको केवल सलाह दे सकते हैं मगर उस पर चलना आपके स्वयं के हाथों में ही है।

क्या आपने कभी ये विचार किया कि इस दुनिया में आपकी तकदीर कौन और कैसे बदल सकता है..? कौन है जो आपके चेहरे पर मुस्कुराहट ला सकता है..? कौन है जो आपके जीवन को सुखी और आनंदमय बना सकता है और कौन है वो जो आपकी हर समस्या का हल ढूँढ सकता है एवं आपके जीवन को एक आदर्श जीवन बना सकता है..?

कभी आपके सामने ये समस्त प्रश्न उपस्थित हो जायें तो धीरे से उठकर आइने के सामने चले जाना आपको स्वतः इन सभी प्रश्नों का उत्तर प्राप्त हो जायेगा। आप जानोगे कि आपके सिवा कोई और नहीं जो आपके जीवन को सुखमय एवं आनंदमय बना सकता है क्योंकि दूसरे केवल मार्ग दिखा पायेंगे, चलना स्वयं को ही पड़ेगा।

संजीव कृष्ण ठाकुर जी
खंडवा मध्य प्रदेश

 

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